Monday, September 26, 2016

मृत्यु या मुक्ति!!

मृत्यु या मुक्ति!!
मानवों में से आधे हम हैं,
अचरज है!
फिर भी न समझे इंसान कोई,
हमारा कोई चिन्ह, न निशान कोई,
न वर्ग, न रंग, न पहचान कोई,
हर श्रेणी में हैं हम,
आंको न खुद से कम,
लगानी पड़े अब
चाहे जो युक्ति
लेकर रहेंगे

मृत्यु या मुक्ति!!


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