मृत्यु या मुक्ति!!
मानवों में से आधे हम हैं,
अचरज है!
फिर भी न समझे इंसान कोई,
हमारा कोई चिन्ह, न निशान कोई,
न वर्ग, न रंग, न पहचान कोई,
हर श्रेणी में हैं हम,
आंको न खुद से कम,
लगानी पड़े अब
चाहे जो युक्ति
लेकर रहेंगे
मृत्यु या मुक्ति!!