Monday, February 27, 2017

सत्य-पुराण

सत्य-पुराण

मैं कल एक कल्पना था,
आज सच हूँ,
कल होऊंगा इतिहास,
और फिर कल्पना हो जायूँगा
सिर्फ एक एहसास!

किन्तु

आज अगर मैं सच हूँ
तो आज के सच के अनुसार
मेरे पूर्वजों का होना
कल सच था!

किताब के हिसाब से
अकबर था, चंद्रगुप्त था
तो जन्मेजय भी था,
हो सकता है उसका नाम
कुछ और हो
इरावत हो, उत्तरसेन हो,
जलाल हो या सेंड्रोकोट्टस हो,
पर जन्मेजय  भी अच्छा नाम है!

हो सकता है
वो वैसा न हो
जैसा लिखा है
पर हो सकता है
अकबर भी फ़ाज़ली न हो
और चंद्रगुप्त
मेगॅस्थेनेज के कथन सा न हो!

और चूंकि जनमेजय था.
तो  परीक्षित और अर्जुन भी होगा
तो फिर कृष्ण पर संदेह क्यों??

मेरे होने से ही
कृष्ण का हो जाना सिद्ध होता है
और उसी तरह इक्ष्वाकु, रघु और राम का ...

अगर किसी की किताब सत्य है
तो किसी और की भी हो सकती है!
आखिर सभी इंसान हैं
और इंसान के एहसास की ही बात है,
कल मैं भी कल्पना था
और फिर कल्पना हो जाऊँगा !!!! 

The course of the course!

The course of the course!  Our motivation to join the course was as per the Vroom's Expectancy theory, as we expected that with a certai...