Wednesday, August 15, 2018

Bindis on the bathroom wall!


Distribution of bindis on a bathroom wall form a bell-shaped curve with normal but bimodal distribution. The value of the first bindi on x axis gives the height of the person to which the bindis belong! A line drawn from the end of the first curve to the peak value forms the angle A with the axis. This corroborates with leaning forward towards the wall mirror. Angle A is inversely proportional to the health of the spine (h) and to cleanliness of the wash basin (c) given by
Sin A=k/hc where k is a constant
The second curve can be used to calculate the height of the toilet seat after calculating height of the person from first curve.
‘Raw’ data is given below:

A deeper analysis can give other dynamic and non dynamic variables. Second curve is mostly populated by conventional bindis represented by Maroon bindis while the first and the bigger curve has more number of unconventional bindis. One can also get more information about the person’s personality, even a peep into her wardrobe.....

...................................................................................................................................................................
I grew up in a Hindu household with no girl and my mother was the only lady in the house. After I got married, I started noticing bindis on the bathroom wall. My mother had never used a sticker bindi as she used to put kumkum for the purpose. So I understood that it was my wife’s creation. Gradually,  the canvas started to grow as the number of bindis on the wall increased. One day I asked my wife that why would she stick the used bindi on the wall, rather than discarding it. She told me me that since a bindi is like an amulet or a fetish, that is worn not for identification of a married Hindu woman or for aesthetics or fashion statement only, but also for good fortune, it can not be thrown away in a dustbin. We all know that there are various cultural practices and interpretations of how and why women, even men, wear a bindi on their forehead. Since I found the subject of bindi on forehead to be very deep for me to decipher, I did not venture into it. I ventured to explore only the bindis on the bathroom wall!!

Friday, August 10, 2018

लकी का स्कूटर


Image result for old bajaj scooter
मेडिकल कॉलेज के छात्र,
निश्चय ही होते हैं
सराहना के पात्र,
उनकी determination बड़ी विचित्र होती है,
देखें इस अस्सी-नब्भे के हॉस्टल के किस्से में कैसे चित्रित होती है,

जब रात के पौने ग्यारह बजे
मन में निरुलाज़ की आइस-क्रीम खाने का फितूर जगे,
कोई अपना व्हीकल न हो और हो बहुत दूर जगह!
तो उसका होता था एक ही उत्तर
की चाइदा है? त्वाडा स्कूटर, लकी पुत्तर!

determination की एक और कहानी,
करनी हो कोई पार्टी
और दरिया गंज से पचास पैक्ड थाली हो लानी
तो बस तीन लोग शर्मा, गंजा और भुटानी
और लकी का स्कूटर और हो गयी पार्टी
और अगर लानी हो प्लेटें सत्तर
तो लूम्बा चलाएगा लकी का स्कूटर


पर लकी के स्कूटर की भी एक दिक्कत थी
वो लकी के अलावा किसी के भी पास हो सकता था,
स्कूटर तो हॉस्टल के नीचे खड़ा मिल भी जाता
पर चाबी ढूंढने में पूरा दिन निकल सकता था
फिर निकाला गया इसका भी हल
चाबी को स्कूटर में ही छोड़ो और चल,
जब भी जिसे ज़रुरत हो ले जा सकता था
और कैंपस में कहीं भी छोड़ सकता
बशर्ते की चाबी उसी में लगी छोड़े
कोई न कोई आलसी उसे हॉस्टल तक ले ही आता
अब लकी का स्कूटर दिखने के बाद पैदल चलना कौन पसंद करता!

कभी कभी समस्या पेट्रोल की होती
उसका फार्मूला था की अगर
दो किलोमीटर से अधिक जाना है
तो जितना जाना है उतना पेट्रोल डलवाना सेफ है
वरना स्कूटर घसीटने की नौबत आने वाली थी,
ज़्यादा होशियार लोग या तो उसको हिला-हिला कर
या 'परकशन' कर बजा-बजा कर पेट्रोल का अंदाज़ा लगाते
अपनी ज़रुरत से ज़्यादा पेट्रोल डलवाने वालों की नस्ल
तो ईजाद  नहीं हुई थी,
पेट्रोल ख़त्म होने पर
अक्सर किसी आते-जाते मोटरसाइकिल वाले
को पकड़ उससे पेट्रोल साइफन किया जाता
 और उसके लिए ऑक्सीजन ट्यूबिंग का इस्तेमाल होता
ये नज़ारा बॉयज़ हॉस्टल के बाहर अक्सर देखने को मिलता!

असली दिक्कत तब होती
जब कैंपस के बाहर जाना होता
उसके लिए एक अदद हेलमेट की ज़रुरत होती,
वैसे तो अक्सर मेडिकल कॉलेज के आई-कार्ड से
चालान से छूट जाते पर उस कला में कुछ ही लोग निपुण थे!
पूरा हॉस्टल जानता था
कि लकी अपने स्कूटर की चाहे परवाह न करे
लेकिन वो अपनी अल्मारी  सिर्फ हेलमट के लिए ही
लॉक करता था
पैसे  तो उसके वैसे भी टेबल पर पड़े रहते,
 एक बार किसी के पूछने पर उसने बताया
"तीन साल में स्कूटर कभी  लॉक नहीं किया
पर कभी नहीं खोया,
और पांच हेलमेट में से एक भी वापिस  नहीं आया
इसलिए कुछ भी मांग लो, स्कूटर, किताब, पैसे
बस अगर दोस्ती  रखनी है
तो  हेलमेट मत माँगना !

अब हेलमेट  जुगाड़ करना
किसी  संग्राम से कम न होता,
और जो हेलमेट ले आता
वो ही असली वीर कहलाता,
 बाकी दो-तीन लोग तो पीछे बैठ चले जाते,
 जब लकी को खुद जाना होता
तो अक्सर स्टेपनी पर बैठ कर जाता,
अपने स्कूटर पर उसे सीट की भला  क्या ज़रुरत!

लकी के स्कूटर पर चाहे जितने झटके लगते हों,
चाहे उसकी क्लच की तार टूट जाये,
चाहे उसकी स्टेपनी में कभी हवा हो ही न,
पर उसके एक्सेलरेटर ने कभी लाल बत्ती
जम्प करते हुए धोखा नहीं दिया,
लकी के स्कूटर पर  ट्रैफिक सिग्नल की बत्तियों
का मतलब ही अलग था:
हरी का मतलब जायो
पीली मतलब रेस बढ़ायो
और लाल मतलब फुल थ्रोटल!

एक बार राजपथ के ढलान पर
लाल बत्ती के बिलकुल पहले टूटी ब्रेक की तार,
तो पीछे बैठे दोनों लोगों ने गला फाड़ कर
हवा में हाथ घुमा-घुमाकर ट्रैफिक हवलदार को चेताया
भैय्या जान प्यारी है तो सामने से हट जायो!
जाकर लकी का स्कूटर खम्बे से टकराया
फिर से उसका हैंडल टेड़ा हो गया
और फिर से उसे टांगों के बीच फंसा कर सीधा  किया गया,
किक मारी तो एक किक में फिर से स्टार्ट,
और उसके आगे पड़ा डेंट एक चंद्राकार
की लगता जैसे लकी का स्कूटर मुस्कुरा रहा हो
"आपकी सेवा में सदैव तैयार!"

लकी का स्कूटर
हॉस्टल के लिए
सचमुच "हमारा बजाज" को चरितार्थ करता था
और लकी  का स्कूटर लकी का है
ऐसा तो किसी को सपने में भी ख्याल नहीं आया!

बाद में लकी के स्कूटर का स्टैंड टूट गया
तो वो कहीं भी लेटा पड़ा होता,
यूं लगता मानो बुढ़ापे में आराम कर रहा हो,
फिर जिसे ले जाना होता उसे काफी मशक्क़त से उसे उठाना होता,
फाइनल ईयर तक आते आते
ज़्यादातर लड़कों के पास अपनी-अपनी  बाइक हो गयी थी,
गर्ल-फ्रेंड को लकी के स्कूटर पर घुमाने में
नाक कटने का खतरा जो था,
एक बार दो लड़को को झगड़ते हुआ सुना,
"वो मेरी गर्ल फ्रेंड है, कोई लकी का स्कूटर नहीं,
जो कोई भी घुमाने ले जाये"
अब लकी का स्कूटर एक उपमा हो गया था!

इंटर्नशिप में कुछ तनख्वा मिलने लगी
और सभी रातों-रात अमीर हो गए
अब लकी भी अक्सर अपनी कार में ही आता-जाता!
फिर मेरी भी इंटर्नशिप ख़त्म हो गयी,
कुछ साल बाद
एक बार बारिश के दिन थे
मुझे एक किताब लेने के लिए वापिस कॉलेज जाना पड़ा
बुकशॉप हॉस्टल के ठीक सामने ही थी
मैंने विषाद भरी निगाहों से अपने पुराने हॉस्टल को देखा,
बारिश काफी तेज़ थी और हॉस्टल की दिवार के कोने में बने
बरसाती परनाले के बीच में टूटे होने के कारण
पानी तेज़ी से बह रहा था,
यकायक मेरी नज़र नीचे गयी तो देखा
वहीँ पानी के नीचे लकी का स्कूटर लेटा पड़ा था
उस पर लगी ज़ंग, इस बात का सबूत थी की वो ऐसी कई
बारिशें  वहीँ पड़े-पड़े झेल चूका था,
उसकी टूटी हेडलाइट मानो हॉस्टल की दीवारों से बात कर रही थी,
"तुम्हारा तो शायद रंग-रोगन हो भी जाए
पर मुझे तो यूं ही रहना है"

हॉस्टल से पुराने बैच जा चुके थे
नए बैच अब नए ढंग से जी रहे थे
पर लकी का स्कूटर एक वफादार मित्र के जैसा
वहीँ हॉस्टल में अपनी रिटायर्ड लाइफ बिता रहा था
और अपने चंद्राकार डेंट में अब भी मुस्कुरा रहा था!




आघात या घात का तात्पर्य

 घात - 'घात' शब्द अनेकों रूप में प्रयोग किया जाता है! इसका एक सामान्य अर्थ होता है 'छुप कर वार करना'। घात शब्द का गणित में प...