कृष्णा : हे कृष्ण तुम पर बड़ा भार है! -२
हे कृष्ण तुम पर बड़ा भार है -१
हे कृष्ण! तुम पर बड़ा भार है,
इस बार, हे कृष्ण तुम पर बड़ा भार है!
द्वापर नहीं ये कलयुग है,
विपत्तियों का अम्बार है,
हे कृष्ण तुम पर बड़ा भार है!
नहीं तुमको सिर्फ गोवर्धन उठाना है,
इस बार तुम्ही को
उसे उगाना है,
किया देवराज ने फिर से प्रहार है,
हे कृष्ण तुम पर बड़ा भार है!
भ्रष्ट अधिकारियों से मचा
जन-जन में हाहाकार है,
अब तुम ही लगाओ कोई युक्ति
दो चक्र लाओ या दो बांसुरी
अब बस दिलाओ मुक्ति
मस्तक विहीन करो
या अपनी धुन पर
ले जाकर यमुना में दो डुबो,
बचा लो जनता को
जो ये लाचार है,
हे कृष्ण तुम पर बड़ा भार है!
इस बार तो किया तुम्हें
विशिष्ट लोगों ने भी याद,
कि उदर उनका भरता रहे
पर हाँ! बचे-कुचे टुकड़ों से
खेल भी चलता रहे,
गोप-ग्वाल, शहर-वासियों के साथ
इस बार तुम्हें
कंसों का भी करना उद्धार है,
हे कृष्ण तुम पर बड़ा भार है,
हे कृष्ण तुम पर बड़ा भार है!
कालिया सा डंक है,
पर गिनती इनकी असंख्य है,
दे कर ज्वर-कष्ट भिन्न-भिन्न,
कर रहे शरीर और
व्यवस्था को छिन्न-भिन्न,
नपुंसक हो चुके समाज का
अब तुमको ही करना बेडा पार है
हे कृष्ण तुम पर बड़ा भार है!
सुदामायों की भीड़ में
चोर भी हैं घुस गए,
गर छांट पाना हो असंभव
तो करो उनका बुद्धि परिवर्तन
करना अब तुमको ही समाधान
किसी प्रकार है
हे कृष्ण तुम पर बड़ा भार है!
सब अपनी अर्ज़ी लगा रहे
तुम पर बड़ा भार है,
मांगने वालों की तुमसे
एक लम्बी कतार है
मेरी भी विनती सुनो
मेरी भी माँ बीमार है,
हे कृष्ण तुम पर बड़ा भार है,
हे कृष्ण तुम पर बड़ा भार है!!
हे कृष्ण तुम पर बड़ा भार है -१
हे कृष्ण! तुम पर बड़ा भार है,
इस बार, हे कृष्ण तुम पर बड़ा भार है!
द्वापर नहीं ये कलयुग है,
विपत्तियों का अम्बार है,
हे कृष्ण तुम पर बड़ा भार है!
नहीं तुमको सिर्फ गोवर्धन उठाना है,
इस बार तुम्ही को
उसे उगाना है,
किया देवराज ने फिर से प्रहार है,
हे कृष्ण तुम पर बड़ा भार है!
भ्रष्ट अधिकारियों से मचा
जन-जन में हाहाकार है,
अब तुम ही लगाओ कोई युक्ति
दो चक्र लाओ या दो बांसुरी
अब बस दिलाओ मुक्ति
मस्तक विहीन करो
या अपनी धुन पर
ले जाकर यमुना में दो डुबो,
बचा लो जनता को
जो ये लाचार है,
हे कृष्ण तुम पर बड़ा भार है!
इस बार तो किया तुम्हें
विशिष्ट लोगों ने भी याद,
कि उदर उनका भरता रहे
पर हाँ! बचे-कुचे टुकड़ों से
खेल भी चलता रहे,
गोप-ग्वाल, शहर-वासियों के साथ
इस बार तुम्हें
कंसों का भी करना उद्धार है,
हे कृष्ण तुम पर बड़ा भार है,
हे कृष्ण तुम पर बड़ा भार है!
कालिया सा डंक है,
पर गिनती इनकी असंख्य है,
दे कर ज्वर-कष्ट भिन्न-भिन्न,
कर रहे शरीर और
व्यवस्था को छिन्न-भिन्न,
नपुंसक हो चुके समाज का
अब तुमको ही करना बेडा पार है
हे कृष्ण तुम पर बड़ा भार है!
सुदामायों की भीड़ में
चोर भी हैं घुस गए,
गर छांट पाना हो असंभव
तो करो उनका बुद्धि परिवर्तन
करना अब तुमको ही समाधान
किसी प्रकार है
हे कृष्ण तुम पर बड़ा भार है!
सब अपनी अर्ज़ी लगा रहे
तुम पर बड़ा भार है,
मांगने वालों की तुमसे
एक लम्बी कतार है
मेरी भी विनती सुनो
मेरी भी माँ बीमार है,
हे कृष्ण तुम पर बड़ा भार है,
हे कृष्ण तुम पर बड़ा भार है!!
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