Tuesday, November 3, 2015

सन्देश एक तारे का

सन्देश एक तारे का 

एक तारा ज़मीं पर छिटक गया
ऎसा तेज, न देखा, न सुना
सब रोशन हो गया
सब दिखने लगा
छुपने को कहीं
अन्धकार न रहा,
सब स्पष्ट नज़र आने लगा,
अँधेरे डर गए!
अंधेरों ने कहा 'घेर लो'
पर उसकी उल्काएँ फैलने लगीं,
एक घमासान हुआ
अंधेरों ने अपनी जीत घोषित की
तारा अपनी जगह लौट गया
पर कुछ चिंगारियाँ
अब भी वहाँ सुलग रहीं हैं,
तारा अब भी देख रहा है,
मनो सन्देश भेज रहा है
"तुम शमा बन
जहाँ को रोशन करो,
अंधेरों को भी रोशन करो,
बस जंगल की आग न बनना,
अंधेरों का जन्म
आग से ही होता है!!" 

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