Monday, January 16, 2017

Hazaron khwahshen aisi ki har khwahish pe dam nikle- Ghalib

Translation of two couplets of Ghalib's "Hazaron khwahishen....."

Desires, I have innumerable and such that each fires my passion,
Though many have been satiated but my thirst doesn't lessen!
On banishment, how Adam was disgraced, from heaven
What that was compared to my repudiation!!


Thursday, January 12, 2017

मात्र एक बेटी!

मात्र एक बेटी!

क्यों कर बेटियों को एक पदक लगता है
कहने को हमारी,
क्या पर्याप्त नहीं इनके निश्छल मुख की
मुस्कान वो प्यारी,
क्यों परस्पर इन्हें खुद को
प्रमाणित करना होता है,
कलयुग की इन अग्नि-परिक्षायों
से बारम्बार तरना होता है,
यदि इनमें कुछ ख़ास न हो,
कोई कला इनके पास न हो,
रोशन न ये नाम करें,
बड़ा न कोई काम करें,
तो न लाड़-दुलार करें?
लज्जित ऐसा विचार करे!!

क्यों  गीत गायें केवल 
जब तू हमें गर्वित करे,
कदाचित तेरी विजय से अपने लाभ तक
सेतु हम निर्मित करें,
तुझे कुछ देने में भी
कुछ प्राप्त करना चाहते हैं,
अपने अहम् के समक्ष
तेरी हर उपलब्धि
समाप्त करना चाहते हैं !

क्यों  गीत गायें केवल 
जब तू हमें गर्वित करे,
तेरा स्नेह तो निरंतर
मुझे द्रवित करे,
तेरा अबोध मुख
देता तीनों लोकों का सुख,
तेरी मुस्कान की हर कला
करे मेरे रोम-रोम
का भला,
तेरा हर संबोधन
दे ख़ुशी तीनों प्रहर मुझे
तेरा आभास
दे निशीथ लहर मुझे!

तेरा होना मात्र,
प्रकृति की एक सिद्धि है,
तू ही तो इस शाश्वत सृष्टि की
मानुषिक अभिव्यक्ति है
किन्तु क्यों मैं तोलूं तुझे
बृहत् तुला में,
जब पाता सभी आनंद
केवल तुझे बाँहों में झुला के,
किसी उपाधि की कमी
कर  नहीं सकती अधूरा तुझे,
लक्ष्मी, सरस्वती
नारी-नारायणी,
देवी, जननी
या फिर तरणि,
किसी उपाधि की कमी
कर  नहीं सकती अधूरा तुझे,
केवल बेटी होकर
करती तू पूरा मुझे!
केवल बेटी होकर
करती तू पूरा मुझे!!

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