Saturday, June 11, 2022

किश्ती

कहीं से पकड़ूँ तो कहीं से रिसती है 

हर किनारे को छोड़ सिर्फ धारा में बस्ती है 

जाने कौन से सफर पे 

ये मेरी कश्ती है!!

 

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