सजीव अंत!
किसी अस्पताल में, जहाँ हर क्षण
जीवन उत्पन्न और विलुप्त हो रहा होगा,
मेरा शिथिल शरीर मृत्यु शैय्या पर पड़ा होगा,
किन्तु मै न समाप्त होऊंगा, मैं जीवित रहूँगा।
नहीं! मुझे किसी कृत्रिम मशीन से बाँध,
सांसों के कोल्हू में मत जोतना,
अपितु मेरा शरीर वो भूमि हो
जिसमें जीवन का बीज उगे।
मेरी दृष्टि उसे देना
जिसने कभी सूर्योदय की पहली किरण नहीं देखी,
नवजात शिशु की मुस्कान को नहीं देखा
प्रियसी की आँखों में
प्यार के उफान को नहीं देखा।
मेरा हृदय उसे मिले
जिसके ह्रदय में केवल पीड़ा हो।
मेरा रक्त उस किशोर को देना
जिसका रक्त रिस गया हो,
पर कन्धों पर भविष्य का बीड़ा हो।
मेरे गुर्दे
दो लोगों को,
मशीनों की साप्ताहिक रंगदारी से मुक्त करें,
मेरी हड्डियाँ, मांसपेशियां, नस-नस,
किसी अपाहिज के दौड़ने के लिए प्रयुक्त करें।
मेरे मस्तिष्क के हर कोने को ढूंढ डालना ,
मेरे रोम रोम से कोई कोशिका निकालना,
की किसी मूक बालक के मूंह से कोई स्वर तो फूटे,
किसी बधिर कन्या के सन्नाटे का बाँध तो टूटे।
फिर भी कुछ बच जाए
तो वो धरती को उपजाए,
जहाँ फूल मुस्कुराएं,
और गेहूं की बालियाँ लह-लहाएं।
और फिर भी आवश्यक मुझे भस्म करना हो,
तो भस्म करना,
मेरी त्रुटियाँ,
मेरी कमज़ोरियाँ,
मेरे भेद-भाव।
मेरे पापों को नष्ट करना, मेरे शरीर को नहीं,
आत्मा को मिला देना भगवान् से कहीं,
यदि ढूंढनी हो मेरी मज़ार, चादर चढाने के लिए,
तो उससे किसी नग्न बच्चे की,
एक कमीज़ बनवा देना कहीं।
यदि याद रखनी हो मेरी कोई अदा ,
मुझे कुछ यूं ही साथ रखना सदा।
(Robert Noel Test के अंग्रेजी लेख "To remember me" से रूपान्तरित )
link to original writing:
http://journeyofhearts.org/kirstimd/remember.htm
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