Tuesday, March 18, 2014

tu meri ho..li!

देख-देख रंग, रंग संग उड़े है उमंग,
बिन डोर कि पतंग,
मन हो रहा मलंग,
रंग ने रंगा जो रूप तेरा, तेरा रूप-रंग
देखूं तो हूँ दंग, न देखूं तो भी तंग!
रंग ने मिलाई भंग गोरी तेरे रूप में,
मन में उठी तरंग देखो भरी धूप में!

कैसे हैं करारे,
गोरी तेरे गार प्यारे,
हैं जीने के सहारे,
या लेंगे चैन हमारे,
धीरे-धीरे मारे जो तू पिचकारी धारे
ध्यान संग प्रान भी खींच ले हमारे। 

परा जो पानी तोहपे, बदला रंगों के ताल में,
गिरते-गिरते कह रहा, न छोड़ो इस हाल में,
कर रही कमाल तू होरी के धमाल में,
या होरी का बवाल है तेरे ही जमाल में। 

जैसे रंग मिल रहे,
यों तोहसे मिलने कि गुहार है,
अपनी नहीं ये,
इनकी भी मनुहार है,
नशा है तेरे रूप का,
या होरी की  फुहार है,
 बावरे हुए हैं बस,
ये ही समाचार है,
ये ही समाचार है!

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