ये जो तेरी लम्बी सी आह आई है,
तू ही बता, दुआ है या दुहाई है?
रु-ब -रु होते ही जो तेरे माथे पे शिकन आयी है,
इसको वस्ल कहूं या जारी अभी जुदाई है?
ज़िक्र पूरे ज़माने का है, तेरी-मेरी बातों में,
बस तेरा-मेरा ज़िक्र नहीं,
दिखा रहें हैं दोनों की फ़िक्र तमाम कायनात की है,
बस तेरी-मेरी फ़िक्र नहीं,
हम शायद तिफ़्ल थे,
पर रिश्ता अपना जवान था,
कभी और कुछ नहीं था,
बस हम दोनों से ही जहान था,
अब बस हम नहीं हैं, मैं हुँ, तू है और पूरी खुदाई है,
तेरी तिरछी सी हंसी में, हंसी शायद नहीं है,
पर तेरी काँपती पलकों में
यक़ीनन एक रुनाई है,
मैंने कब तुझसे शिकवा किया है,
पर ये भी जानता हूँ,
मेरी काफ़िर निगाहों ने
तुझे एक कहानी सुनाई है!!
तू ही बता, दुआ है या दुहाई है?
रु-ब -रु होते ही जो तेरे माथे पे शिकन आयी है,
इसको वस्ल कहूं या जारी अभी जुदाई है?
ज़िक्र पूरे ज़माने का है, तेरी-मेरी बातों में,
बस तेरा-मेरा ज़िक्र नहीं,
दिखा रहें हैं दोनों की फ़िक्र तमाम कायनात की है,
बस तेरी-मेरी फ़िक्र नहीं,
हम शायद तिफ़्ल थे,
पर रिश्ता अपना जवान था,
कभी और कुछ नहीं था,
बस हम दोनों से ही जहान था,
अब बस हम नहीं हैं, मैं हुँ, तू है और पूरी खुदाई है,
तेरी तिरछी सी हंसी में, हंसी शायद नहीं है,
पर तेरी काँपती पलकों में
यक़ीनन एक रुनाई है,
मैंने कब तुझसे शिकवा किया है,
पर ये भी जानता हूँ,
मेरी काफ़िर निगाहों ने
तुझे एक कहानी सुनाई है!!
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