Monday, September 22, 2014

आवाज़- ए-परवाज़-ए -बुलंदी

आवाज़- ए-परवाज़-ए -बुलंदी 

ये परिंदा यक़ीनन सुकूँ में है 
पर तजस्सुस इसके भी खूं में है
एक अदना सी हवा की लहर 
इसके पंखों को परवाज़ देती है 
इसे भी कोई बुलंदी आवाज़ देती है 
शायद वो लम्हा आने को है 
अब कोई नया रंग 
फ़लक में छाने को है!

यक़ीनन अब वो दुनिया बनने को है 
ग़र कुछ और कदम हम साथ चले 
अहलियत अब ज़्यादा नहीं 
बस कुछ और तेरी-मेरी बात चले!
 
Word meaning: Tajassus: curiosity. Parwaaz- flight, ahliat - effort

Monday, September 15, 2014

सम्पूर्ण साक्षात्कार

सम्पूर्ण साक्षात्कार


शीतल पवन करे यूं भ्रमण,
ज्यों चपल चंचला नार कोई,
धवल चांदनी, श्यामल रात,
उज्ज्वल तारे अपार कई,
ऋतु  मीराबाई,
सिमरन करते जो श्याम का
है पागल भई
सुन्दर सुगंध सुमधुर संगीत,
है बज रही पवित्र झंकार कोई,
कोपल कपोल कोमल कोमल,
नहीं मोहिनी यही प्रकार कोई,
अति आनंदित प्रसन्नचित,
कर रहा मुझे विचार कोई,
स्वच्छ मन आनंद विभोर,
मिला रस का सागर कोई,
निष्पाप हुआ जग, सरल सब कर्म,
मलीन नहीं विचार कोई,
मुक्त हृदय, सुशोभित चित्त,
है कर गया श्रृंगार कोई,
हे प्रभु सम्पूर्ण हो,
नहीं ऐसा और साक्षात्कार कोई!

Wednesday, September 10, 2014

A Martyr's epistle

मेरी शौर्यगाथा को मेरी मृत्यु न बनाओ दोस्तों,
आज तुम आंसू न बहाओ दोस्तों!

मुझे जो कन्धों पे उठाया है आज,
मेरी विजय का उत्सव मनाओ दोस्तों
इसे न मेरी शव-यात्रा बनाओ दोस्तों!
आज तुम आंसू न बहाओ दोस्तों!

तुम्हारे जीवन में, तुम्हारे उल्लास में,
जीवित हूँ मैं सदा,
मेरे जीवन को न इतना छोटा बनाओ दोस्तों,
आज तुम आंसू न बहाओ दोस्तों!

*"कन्धों से मिलते हैं कंधें, क़दमों से कदम मिलते हैं,
चलते हैं जब हम ऐसे तो दिल दुश्मन के हिलते हैं,"
चलो, जीत का जश्न  मनायो दोस्तों,
आज तुम आंसू न बहाओ दोस्तों!

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मेरी शहादत को न मेरी कज़ा बनाओ दोस्तों,
आज तुम अश्क़ न बहाओ दोस्तों!

मुझे जो काँधों पर  उठाया है आज,
मेरी फतह का जश्न मनाओ दोस्तों,
इसे  न मेरा जनाज़ा बनाओ दोस्तों,
आज तुम अश्क़ न बहाओ दोस्तों!

तुम्हारी बेख़ौफ़ ज़िन्दगी में ज़िंदा हूँ मैं,
मेरी कुर्बानी को न सज़ा बनाओ दोस्तों,
आज तुम अश्क़ न बहाओ दोस्तों!

बेशक तुम मायुस  हो,
मुझसे जुड़ा होकर,
पर इसे न दिल से लगायो दोस्तों,
आज तुम अश्क़ न बहाओ दोस्तों!

पैरहन हो हंसी का,
और जियो बेइन्तहां,
मेरी मौत को
पैगम्बर ज़िन्दगी का बनाओ दोस्तों,
आज ये करिश्मा कर दिखायो दोस्तों,
आज तुम अश्क़ न बहाओ दोस्तों!

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Let not the tears sog your cheek,
let not my gallantry be my death so meek!
Be it my victory lap
Your shoulders that I am on,
let it not be
an obligatory funeral moan,
Jubilate for that I am alive,
In your fearless life
I continue to survive,
Wear a smile and live, live more,
for it's the vigor of life
even in my death
that I adore!

आघात या घात का तात्पर्य

 घात - 'घात' शब्द अनेकों रूप में प्रयोग किया जाता है! इसका एक सामान्य अर्थ होता है 'छुप कर वार करना'। घात शब्द का गणित में प...