अन्तर्द्वन्द्व : एक नाटिका
Characters:
1. Main (मैं )
२. आत्मा
३. अन्तरात्मा
४. गुरु
५, भगवान
६. समाज
7.दोस्त
८. आकांक्षा
Enter मैं
" मैं, मैं हूँ। एक middle class professional गृहस्थ। मैं चाहता हूँ की मैं खुश रहूँ, और अक्सर रहता भी हूँ। पर जब मैं अपने दोस्त को देखता हूँ (Enter dost, on the other side of the stage, wearing executive suit, wears goggles on stage facing audience and doing business as 'main' speaks)(Main looking at 'dost')
तो कहीं एक हीनता की भावना पैदा होती है। मैं क्यों नहीं उसके जितना समृद्ध हूँ? मेरे पास वो सब क्यों नहीं जो उसके पास है?
Dost moves towards 'main' and talks to him
Dost "और क्या हाल हैं?" (बैकग्राउंड से आवाज़ आती है "अभी त्तक तो ठीक ही थे ")" अरे यार, इस बार new york मैं बड़ा मज़ा आया, बच्चों ने छुट्टियाँ बहुत एन्जॉय कीं, हम तो एग्जीक्यूटिव क्लास से गए, best 5 star mien ruke aur niagra falls bhi dekh liya! Tu bhi to kahin jaane wala tha??"
Main "हम्म्म! हम तो यार वो, क्या है की, वो बीवी के मायके गोंडा चले गए थे, बस कहीं और जाने का समय ही नहीं मिला!"
दोस्त " बढ़िया है, बढ़िया है, तेरे तो पैसे बच गए यार! चल मैं चलता हूँ!" (dost leaves the stage)
Main to the audience " मेरी भी इच्छाएं हैं, मैं भी चाहता हूँ की मैं बहुत सक्सेसफुल हूँ, सब मुझे भी आदर भाव से देखें, मेरी भी आकांक्षा है........ "
a girl enters the stage, comes and holds his hand and starts pulling him
Main "अरे तुम कौन हो??"
गर्ल " आकांक्षा!"
मैं " कौन आकांक्षा??"
आकांशा "तुम्हारी अकांक्षा.... "
मैं " अरे धीरे बोलो, कहीं मेरी बीवी ने सुन लिया तो!!"
आकांक्षा " मैं तुम्हे ले जाने आई हूँ, बहुत दूर, बहुत ऊँचे, जहाँ तुम जाना चाहते हो। जहाँ तुम हमेशा खुश रहोगे!"
मैं (हाथ झिड़कते हुए) " हटो! ऐसी कोई जगह नहीं होती जहाँ कोई हमेशा खुश रहता है। मुझे उल्लू मत बनाओ" (बैकग्राउंड से 'नो उल्लू बनायोइंग, नो उल्लू बनायोइंग"
आकांक्षा मायूस हो चली जाती है!
Main to audience " मैं भी इतना बेवक़ूफ़ नहीं हूँ! मैं भी पैसे कमाने के तरीके जानता हूँ! आखिर मुझे भी तो अपने परिवार को खुश रखना है। कल मैंने भी एक आदमी को चूना लगाया और कुछ पैसे बना लिए!" (develop and connect with atma mar chuki hai)
Enter atma " Hu ha hahahahaa"
main " तू कौन है?? राक्षस ?"
आत्मा (ज़ोर से) "बेवकूफ! आत्मा को राक्षस बोलते हो, अगर मैं राक्षस हूँ, तो तुम्ही राक्षस हो जाओगे। मैं हूँ तुम्हारी आत्मा !"
मैं " पर मुझे तो कल किसी ने बोला की तुम्हारी आत्मा मर चुकी है, फिर तुम…?"
आत्मा "मूर्ख! आत्मा अजर अमर है, मैं न पैदा होता हूँ, न मुझे कोई मार सकता है! अरे गीता नहीं पढ़ी तो कम से कम सीरियल तो देखे होंगे "
मैं " जब भी मैं पैसों की बात करता हूँ तुम कहाँ से टपक पड़ते हो?"
आत्मा " हु हाहाहाहा ! मैं कोई फल नहीं जो टपकुं, मैं तो तुम्हारे अंदर ही हूँ "
stage par ek flashy dress mein ladki muskurate aur gestures karte hue
Main uski taraf bhagne lagta hai
Atma "kahan ja rahe ho?/"
main " wo dekho aishwarya"
Atma " kaun aishwarya rai?"
Main " nahin! aishwarya, sare sukh, aish,aram"
Atma exits (why? atma ko aishwarya - aisho-aram se kya kaam, atma ko agni jala nahi sakti, vayu sukha nahin sakti aur asihwarya lubha nahin sakti...)
Antaratma ( a girl) enters and holds back main
Main ' ab tum kaun ho?"
Antaratma '" main tumhari antaratma"
Main " wo to pehle hi aa chuki hai na"
antaratma " nahin wo to atma thi, main antaratma hoon!'
Main ' lekin tum to ladki ho, tum meri antaratma kaise ho sakti ho?"
Antaratma " antaratma hoti hai, hota nahin isliye main to ladki hi hoon!"
main " par atma bhi to hoti hai, hota nahin, to wo phir ladka kaise tha, thi, whatever!"
Antaratma " arre atma to unisex hai, kisi main bhi ghus sakti hai, "
Main " to tum bisexual ho?"
antaratma " isiliye tumhari biwi kehti hai ki tum hamesha sex ke baare mein hi sochte rehte ho.main antaratma hoon, tumhara man, tumhari soch!"
Main " confuse mat karo, tumhari anatomy galat hai, tum mera heart ho ya brain ho???"
Antaratma "मैं तुम्हारी वैल्यूज हूँ, जो सही हैं, तुम्हें गलत काम करने से रोकती हैं"
मैं "तो तुम कल कहाँ थीं?"
अंतरात्मा "कल मेरा ऑफ था! क्यों तुमने कोई गलत काम किया? पर 'आत्मा' तो कॉल पर थी!
आत्मा झुंझलाते हुए एंटर करती है
आत्मा " आत्मा कॉल पर थी का क्या मतलब है, मैं तो 24 बाई 7 कॉल पर हूँ, ज़िन्दगी भर और इवन उसके बाद भी, मैं किस किस का काम देखूँ, एक इंडिविजुअल पर इतना काम होगा तो क्वालिटी तो सफ़र करेगी ही! जो गलत काम कर रहा है उसका कुछ नहीं, सारा blame मुझ पर ही क्यों? इसको बोलो ..."
अंतरात्मा "तो क्या किया तुमने कल ?"
मैं " उससे तुम्हें क्या मतलब, तुम्हें बताया तो ज़िन्दगी भर तुम मुझे कोसती रहोगी! वैसे तुम्हारी वेकेशन्स नहीं होती क्या?"
अंतरात्मा " लगता है तुम मुझे मार ही डालोगे, और क्या करना चाहते हो?"
मैं "चाहता तो बहुत कुछ हूँ, पर तुम करने दो तब न, करप्शन के टाइम तुम्हारा ऑफ हो जाता है, पर जब ऐश्वर्या आती है तो तुम सबसे अलर्ट हो जाती हो??"
अंतरात्मा "तो ये बात है!! ये तो अपनी-अपनी नेचर है, मेरी अपब्रिंगिंग में मोरल वैल्यूज ज़्यादा इम्पोर्टेन्ट हैं, छोटा मोटा करप्शन फिर भी चलता है"
मैं " तो तुम मेरे दोस्त को क्यों नहीं रोकतीं ?'
अंतरात्मा " मैं तुम्हारी अंतरात्मा हूँ, उसे कैसे रोकूंगी? उसे तो उसकी अंतरात्मा को रोकना चाहिए, लेकिन उसकी अंतरात्मा की वैल्यूज अलग हैं, इसलिए वह उसे नहीं रोकती!"
मैं " तो तुम उसकी अंतरात्मा बन जायो और उसकी वाली मुझे भेज दो"
अंतरात्मा" ऐसे थोड़े ही होता है, मैं तो तुम्हारे साथ ही बड़ी हुई हूँ और तुम्हारे साथ ही रहूंगी!!" (develop)
मैं "कोई ज़बरदस्ती है? तुम्हारे ऊपर कौन है, मुझे उससे बात करनी है ? ये आत्मा ??"
अंतरात्मा "नहीं ये तो सिर्फ डे टू डे functioning के लिए है, मेरे ऊपर तो बस भगवान् है??
मैं "ठीक है, बुलायो भगवान को, अभी तुम्हारी ट्रांसफर कराता हूँ!"
आत्मा " भगवान् अवेलेबल नहीं हैं, अभी मैं ही इंचार्ज हूँ!" (develop)
मैं" वैसे कहते हैं, भगवान् कण कण में है पर ज़रुरत के टाइम ऑलवेज नॉट-अवेलेबल, क्या फायदा ऐसे भगवान् का?"
आत्मा "अंतरात्मा चेंज नहीं होती, ऐसा कोई लॉ है ही नहीं?"
मैं "तुम झूट बोलते हो!"
आत्मा (चिल्लाते हुए) " आत्मा झूट नहीं बोलती, हुहहहहह !!"
मैं " तो फिर अर्जुन, जो शुरू मैं इतना ऑनेस्ट था बाद में इतना अय्याश कैसे हो गया?"
आत्मा " उसकी अंतरात्मा तो मर गयी थी, और फिर वो पोजीशन vacant थी, हमने कॉन्ट्रैक्ट पर रखने की कोशिश की थी पर...... फुल्ली डेवलप्ड अच्छी अंतरात्मा आजकल मिलती कहाँ है?? तुम तो खुश किस्मत हो जो तुम्हें ऐसी अंतरात्मा मिली"
मैं " तो क्या मुझे ऐशो आराम का कोई हक़ नहीं है? इतना डिस्क्रिमिनेशन क्यों है?"
ऐश्वर्या "ओह, मुझे तो यहाँ suffocation हो रही है, जहाँ लोग इतना सोचते हैं, मैं तो वहां जाती ही नहीं हूँ! मुझे डिबेट बिलकुल पसंद नहीं है और मैं उससे दूर ही रहती हूँ!"
मैं (आत्मा और अंतरात्मा से) " तुम दोनों यहाँ से जायो, कहीं तुम्हारे चक्कर में ऐश्वर्या चली न जाये!!"
आत्मा "बेवक़ूफ़, मैं चला गया तो तुम मर जायोगे!'
मैं " ठीक है, फिर नज़र मत आयो, तुम तो नोर्मल्ली भी नज़र नहीं आते न !"
आत्मा "अरे तुम अच्छे आदमी हो, क्यों बुराई की तरफ भाग रहे हो, वह देखे तुम्हारी अंतरात्मा कराह रही है और मरने वाली है, उसे बचायो!"
अंतरात्मा छटपटाने लगती है और मूर्छित हो जाती है!
मैं "अब कुछ अच्छा लग रहा है!!"
आत्मा ' इसको कौन समझायेगा, लगता है गुरु को बुलाना पड़ेगा"
गुरु enters
आत्मा (गुरु से ) " गुरु जी इसे बचाइए! ये अपनी अंतरात्मा को मार ऐश्वर्या की आग़ोश में खो जाना चाहता है"
गुरु (मुस्कुराते हुए) "वत्स तुम चिंता मत करो! ये मिडिल क्लास आदमी है, ये सिर्फ ऐश्वर्या के बारे में सोच सकते हैं, ये जैसे ही उसके पास जायेगा इसकी अंतरात्मा फिर जाग जाएगी, ये फीडबैक लूप मिडिल क्लास में शुरू से ही इन्सटाल्ड होता है, इसको बाई-पास नहीं कर सकता"
आत्मा " तो फिर ये इतना शोर क्यों मचा रहा है ??"
गुरु " कभी-कभी सिस्टम में वायरस आ जाता है और वो हाई क्लास को imitate करने लगता है, पर ये ऐश्वर्या वाला app इसके सिस्टम से कम्पेटिबल ही नहीं है!"
अंतरात्मा थोड़ा उठने लगती है
तभी मैं आक्रामक हो उठता है और अंतरात्मा का गाला घोटने लगता है, गुरु और आत्मा उसे छुड़ाने की कोशिश करते हैं, ऐश्वर्या ज़ोर से हँसने लगती है!
अंतरात्मा निढाल हो जाती है, मैं गुरु को धकेल कर ऐश्वर्य की तरफ दौड़ता है और उसका हाथ पकड़ लेता है और ऊंचे स्वर में बोलता है
"आखिर मैंने ऐश्वर्या को प्राप्त कर ही लिया, चाहे इसके लिए मुझे इस अंतरात्मा को मारना पड़ा" और अंतरात्मा की तरफ इशारा करता है पर अंतरात्मा गायब है !
"अरे, ये अंतरआत्मा की लाश कहाँ गयी, आत्मा भी नज़र नहीं आ रही"
गुरु दूसरी तरफ मुहँ कर के बैठ जाते हैं
"इससे पहले कुछ गड़बड़ हो, मैं ऐश्वर्या के साथ भाग जाता हूँ!"
और वो ऐश्वर्या का हाथ पकड़ भागने लगता है, तभी सामने से चार-पांच लोग उसे घेर लेते हैं और घूमने लगते हैं
मैं "तुम कौन हो?"
"हम समाज हैं!"
"मुझे क्यों रोका है?"
"तुम तो मिडिल क्लास हो??"
"तो??"
"तो तुम्हें ऐश्वर्या कहाँ से मिल गयी ?"
"क्यों क्या मुझे ऐश्वर्या का हक़ नहीं ?"
हँसते हुए "हक़?? वो क्या होता है? हक़ तो उन तोहफ़ों को बोलते हैं, जो जब हमारा मन करता है, हम तुम्हें दे देते हैं, उससे हमारी इमेज अच्छी बनी रहती है। वो छोड़ो, ये बतायो तुमने क्या गलत किया है जो ये तुम्हें मिल गयी?"
"नहीं मैंने कुछ गलत नहीं किया, इस पर मेरा भी हक़ है"
"चलो मान लेते हैं पर तुम्हें पहले इसे अर्जित करना होगा!!"
"जब मैंने इसे प्राप्त कर लिया तो earn करने का क्या मतलब, कैसे ?"
"मेहनत से, लगन से, ईमानदारी से"
"वो तो मैं बचपन से करता हूँ, उससे नहीं मिलती "
"वही तो हम कह रहे हैं , तो तुम्हें कैसे मिली??"
"ये खुद मेरे पास आयी!!"
इतने में दोस्त आता है और ऐश्वर्या का हाथ छुड़ा कर ले जाता है! मैं और समाज बातों में उलझे हैं
"अब तुम्हें मानना होगा कि ऐश्वर्या तुम्हारी नहीं है !"
"शायद तुम ठीक कहते हो,"
इतने में समाज में से अंतरात्मा निकल कर आती है और अपना मुखौटा उतार मैं का हाथ पकड़ लेती है !
अंतरात्मा"तुमसे मुझसे कोई नहीं छीन सकता, ऐश्वर्य भी नहीं, क्योंकि जब तक तुम हो तब तक मैं रहूंगी। हो सकता है, तुम मेरी न सुनो, अपनी आत्मा की न सुनो, गुरु की भी न सुनो पर तुम्हें इस समाज में रहना है और ये समाज ही मेरा पोषण करता है, इसलिए मैं सदा तुम्हारे साथ हूँ"
"तो फिर आकांक्षा और ऐश्वर्या से कह दो कि मुझे कभी नज़र न आयें !"
अंतरात्मा "आकांक्षा तो हमेशा तुम्हें नज़र आएगी, उसी से तुहें अपने चलने की दिशा मिलेगी और ऐश्वर्या सदा दूसरों के साथ नज़र आएगी, तुम्हें अपने ऊपर ही संयम रखना होगा"
to be completed......
Characters:
1. Main (मैं )
२. आत्मा
३. अन्तरात्मा
४. गुरु
५, भगवान
६. समाज
7.दोस्त
८. आकांक्षा
Enter मैं
" मैं, मैं हूँ। एक middle class professional गृहस्थ। मैं चाहता हूँ की मैं खुश रहूँ, और अक्सर रहता भी हूँ। पर जब मैं अपने दोस्त को देखता हूँ (Enter dost, on the other side of the stage, wearing executive suit, wears goggles on stage facing audience and doing business as 'main' speaks)(Main looking at 'dost')
तो कहीं एक हीनता की भावना पैदा होती है। मैं क्यों नहीं उसके जितना समृद्ध हूँ? मेरे पास वो सब क्यों नहीं जो उसके पास है?
Dost moves towards 'main' and talks to him
Dost "और क्या हाल हैं?" (बैकग्राउंड से आवाज़ आती है "अभी त्तक तो ठीक ही थे ")" अरे यार, इस बार new york मैं बड़ा मज़ा आया, बच्चों ने छुट्टियाँ बहुत एन्जॉय कीं, हम तो एग्जीक्यूटिव क्लास से गए, best 5 star mien ruke aur niagra falls bhi dekh liya! Tu bhi to kahin jaane wala tha??"
Main "हम्म्म! हम तो यार वो, क्या है की, वो बीवी के मायके गोंडा चले गए थे, बस कहीं और जाने का समय ही नहीं मिला!"
दोस्त " बढ़िया है, बढ़िया है, तेरे तो पैसे बच गए यार! चल मैं चलता हूँ!" (dost leaves the stage)
Main to the audience " मेरी भी इच्छाएं हैं, मैं भी चाहता हूँ की मैं बहुत सक्सेसफुल हूँ, सब मुझे भी आदर भाव से देखें, मेरी भी आकांक्षा है........ "
a girl enters the stage, comes and holds his hand and starts pulling him
Main "अरे तुम कौन हो??"
गर्ल " आकांक्षा!"
मैं " कौन आकांक्षा??"
आकांशा "तुम्हारी अकांक्षा.... "
मैं " अरे धीरे बोलो, कहीं मेरी बीवी ने सुन लिया तो!!"
आकांक्षा " मैं तुम्हे ले जाने आई हूँ, बहुत दूर, बहुत ऊँचे, जहाँ तुम जाना चाहते हो। जहाँ तुम हमेशा खुश रहोगे!"
मैं (हाथ झिड़कते हुए) " हटो! ऐसी कोई जगह नहीं होती जहाँ कोई हमेशा खुश रहता है। मुझे उल्लू मत बनाओ" (बैकग्राउंड से 'नो उल्लू बनायोइंग, नो उल्लू बनायोइंग"
आकांक्षा मायूस हो चली जाती है!
Main to audience " मैं भी इतना बेवक़ूफ़ नहीं हूँ! मैं भी पैसे कमाने के तरीके जानता हूँ! आखिर मुझे भी तो अपने परिवार को खुश रखना है। कल मैंने भी एक आदमी को चूना लगाया और कुछ पैसे बना लिए!" (develop and connect with atma mar chuki hai)
Enter atma " Hu ha hahahahaa"
main " तू कौन है?? राक्षस ?"
आत्मा (ज़ोर से) "बेवकूफ! आत्मा को राक्षस बोलते हो, अगर मैं राक्षस हूँ, तो तुम्ही राक्षस हो जाओगे। मैं हूँ तुम्हारी आत्मा !"
मैं " पर मुझे तो कल किसी ने बोला की तुम्हारी आत्मा मर चुकी है, फिर तुम…?"
आत्मा "मूर्ख! आत्मा अजर अमर है, मैं न पैदा होता हूँ, न मुझे कोई मार सकता है! अरे गीता नहीं पढ़ी तो कम से कम सीरियल तो देखे होंगे "
मैं " जब भी मैं पैसों की बात करता हूँ तुम कहाँ से टपक पड़ते हो?"
आत्मा " हु हाहाहाहा ! मैं कोई फल नहीं जो टपकुं, मैं तो तुम्हारे अंदर ही हूँ "
stage par ek flashy dress mein ladki muskurate aur gestures karte hue
Main uski taraf bhagne lagta hai
Atma "kahan ja rahe ho?/"
main " wo dekho aishwarya"
Atma " kaun aishwarya rai?"
Main " nahin! aishwarya, sare sukh, aish,aram"
Atma exits (why? atma ko aishwarya - aisho-aram se kya kaam, atma ko agni jala nahi sakti, vayu sukha nahin sakti aur asihwarya lubha nahin sakti...)
Antaratma ( a girl) enters and holds back main
Main ' ab tum kaun ho?"
Antaratma '" main tumhari antaratma"
Main " wo to pehle hi aa chuki hai na"
antaratma " nahin wo to atma thi, main antaratma hoon!'
Main ' lekin tum to ladki ho, tum meri antaratma kaise ho sakti ho?"
Antaratma " antaratma hoti hai, hota nahin isliye main to ladki hi hoon!"
main " par atma bhi to hoti hai, hota nahin, to wo phir ladka kaise tha, thi, whatever!"
Antaratma " arre atma to unisex hai, kisi main bhi ghus sakti hai, "
Main " to tum bisexual ho?"
antaratma " isiliye tumhari biwi kehti hai ki tum hamesha sex ke baare mein hi sochte rehte ho.main antaratma hoon, tumhara man, tumhari soch!"
Main " confuse mat karo, tumhari anatomy galat hai, tum mera heart ho ya brain ho???"
Antaratma "मैं तुम्हारी वैल्यूज हूँ, जो सही हैं, तुम्हें गलत काम करने से रोकती हैं"
मैं "तो तुम कल कहाँ थीं?"
अंतरात्मा "कल मेरा ऑफ था! क्यों तुमने कोई गलत काम किया? पर 'आत्मा' तो कॉल पर थी!
आत्मा झुंझलाते हुए एंटर करती है
आत्मा " आत्मा कॉल पर थी का क्या मतलब है, मैं तो 24 बाई 7 कॉल पर हूँ, ज़िन्दगी भर और इवन उसके बाद भी, मैं किस किस का काम देखूँ, एक इंडिविजुअल पर इतना काम होगा तो क्वालिटी तो सफ़र करेगी ही! जो गलत काम कर रहा है उसका कुछ नहीं, सारा blame मुझ पर ही क्यों? इसको बोलो ..."
अंतरात्मा "तो क्या किया तुमने कल ?"
मैं " उससे तुम्हें क्या मतलब, तुम्हें बताया तो ज़िन्दगी भर तुम मुझे कोसती रहोगी! वैसे तुम्हारी वेकेशन्स नहीं होती क्या?"
अंतरात्मा " लगता है तुम मुझे मार ही डालोगे, और क्या करना चाहते हो?"
मैं "चाहता तो बहुत कुछ हूँ, पर तुम करने दो तब न, करप्शन के टाइम तुम्हारा ऑफ हो जाता है, पर जब ऐश्वर्या आती है तो तुम सबसे अलर्ट हो जाती हो??"
अंतरात्मा "तो ये बात है!! ये तो अपनी-अपनी नेचर है, मेरी अपब्रिंगिंग में मोरल वैल्यूज ज़्यादा इम्पोर्टेन्ट हैं, छोटा मोटा करप्शन फिर भी चलता है"
मैं " तो तुम मेरे दोस्त को क्यों नहीं रोकतीं ?'
अंतरात्मा " मैं तुम्हारी अंतरात्मा हूँ, उसे कैसे रोकूंगी? उसे तो उसकी अंतरात्मा को रोकना चाहिए, लेकिन उसकी अंतरात्मा की वैल्यूज अलग हैं, इसलिए वह उसे नहीं रोकती!"
मैं " तो तुम उसकी अंतरात्मा बन जायो और उसकी वाली मुझे भेज दो"
अंतरात्मा" ऐसे थोड़े ही होता है, मैं तो तुम्हारे साथ ही बड़ी हुई हूँ और तुम्हारे साथ ही रहूंगी!!" (develop)
मैं "कोई ज़बरदस्ती है? तुम्हारे ऊपर कौन है, मुझे उससे बात करनी है ? ये आत्मा ??"
अंतरात्मा "नहीं ये तो सिर्फ डे टू डे functioning के लिए है, मेरे ऊपर तो बस भगवान् है??
मैं "ठीक है, बुलायो भगवान को, अभी तुम्हारी ट्रांसफर कराता हूँ!"
आत्मा " भगवान् अवेलेबल नहीं हैं, अभी मैं ही इंचार्ज हूँ!" (develop)
मैं" वैसे कहते हैं, भगवान् कण कण में है पर ज़रुरत के टाइम ऑलवेज नॉट-अवेलेबल, क्या फायदा ऐसे भगवान् का?"
आत्मा "अंतरात्मा चेंज नहीं होती, ऐसा कोई लॉ है ही नहीं?"
मैं "तुम झूट बोलते हो!"
आत्मा (चिल्लाते हुए) " आत्मा झूट नहीं बोलती, हुहहहहह !!"
मैं " तो फिर अर्जुन, जो शुरू मैं इतना ऑनेस्ट था बाद में इतना अय्याश कैसे हो गया?"
आत्मा " उसकी अंतरात्मा तो मर गयी थी, और फिर वो पोजीशन vacant थी, हमने कॉन्ट्रैक्ट पर रखने की कोशिश की थी पर...... फुल्ली डेवलप्ड अच्छी अंतरात्मा आजकल मिलती कहाँ है?? तुम तो खुश किस्मत हो जो तुम्हें ऐसी अंतरात्मा मिली"
मैं " तो क्या मुझे ऐशो आराम का कोई हक़ नहीं है? इतना डिस्क्रिमिनेशन क्यों है?"
ऐश्वर्या "ओह, मुझे तो यहाँ suffocation हो रही है, जहाँ लोग इतना सोचते हैं, मैं तो वहां जाती ही नहीं हूँ! मुझे डिबेट बिलकुल पसंद नहीं है और मैं उससे दूर ही रहती हूँ!"
मैं (आत्मा और अंतरात्मा से) " तुम दोनों यहाँ से जायो, कहीं तुम्हारे चक्कर में ऐश्वर्या चली न जाये!!"
आत्मा "बेवक़ूफ़, मैं चला गया तो तुम मर जायोगे!'
मैं " ठीक है, फिर नज़र मत आयो, तुम तो नोर्मल्ली भी नज़र नहीं आते न !"
आत्मा "अरे तुम अच्छे आदमी हो, क्यों बुराई की तरफ भाग रहे हो, वह देखे तुम्हारी अंतरात्मा कराह रही है और मरने वाली है, उसे बचायो!"
अंतरात्मा छटपटाने लगती है और मूर्छित हो जाती है!
मैं "अब कुछ अच्छा लग रहा है!!"
आत्मा ' इसको कौन समझायेगा, लगता है गुरु को बुलाना पड़ेगा"
गुरु enters
आत्मा (गुरु से ) " गुरु जी इसे बचाइए! ये अपनी अंतरात्मा को मार ऐश्वर्या की आग़ोश में खो जाना चाहता है"
गुरु (मुस्कुराते हुए) "वत्स तुम चिंता मत करो! ये मिडिल क्लास आदमी है, ये सिर्फ ऐश्वर्या के बारे में सोच सकते हैं, ये जैसे ही उसके पास जायेगा इसकी अंतरात्मा फिर जाग जाएगी, ये फीडबैक लूप मिडिल क्लास में शुरू से ही इन्सटाल्ड होता है, इसको बाई-पास नहीं कर सकता"
आत्मा " तो फिर ये इतना शोर क्यों मचा रहा है ??"
गुरु " कभी-कभी सिस्टम में वायरस आ जाता है और वो हाई क्लास को imitate करने लगता है, पर ये ऐश्वर्या वाला app इसके सिस्टम से कम्पेटिबल ही नहीं है!"
अंतरात्मा थोड़ा उठने लगती है
तभी मैं आक्रामक हो उठता है और अंतरात्मा का गाला घोटने लगता है, गुरु और आत्मा उसे छुड़ाने की कोशिश करते हैं, ऐश्वर्या ज़ोर से हँसने लगती है!
अंतरात्मा निढाल हो जाती है, मैं गुरु को धकेल कर ऐश्वर्य की तरफ दौड़ता है और उसका हाथ पकड़ लेता है और ऊंचे स्वर में बोलता है
"आखिर मैंने ऐश्वर्या को प्राप्त कर ही लिया, चाहे इसके लिए मुझे इस अंतरात्मा को मारना पड़ा" और अंतरात्मा की तरफ इशारा करता है पर अंतरात्मा गायब है !
"अरे, ये अंतरआत्मा की लाश कहाँ गयी, आत्मा भी नज़र नहीं आ रही"
गुरु दूसरी तरफ मुहँ कर के बैठ जाते हैं
"इससे पहले कुछ गड़बड़ हो, मैं ऐश्वर्या के साथ भाग जाता हूँ!"
और वो ऐश्वर्या का हाथ पकड़ भागने लगता है, तभी सामने से चार-पांच लोग उसे घेर लेते हैं और घूमने लगते हैं
मैं "तुम कौन हो?"
"हम समाज हैं!"
"मुझे क्यों रोका है?"
"तुम तो मिडिल क्लास हो??"
"तो??"
"तो तुम्हें ऐश्वर्या कहाँ से मिल गयी ?"
"क्यों क्या मुझे ऐश्वर्या का हक़ नहीं ?"
हँसते हुए "हक़?? वो क्या होता है? हक़ तो उन तोहफ़ों को बोलते हैं, जो जब हमारा मन करता है, हम तुम्हें दे देते हैं, उससे हमारी इमेज अच्छी बनी रहती है। वो छोड़ो, ये बतायो तुमने क्या गलत किया है जो ये तुम्हें मिल गयी?"
"नहीं मैंने कुछ गलत नहीं किया, इस पर मेरा भी हक़ है"
"चलो मान लेते हैं पर तुम्हें पहले इसे अर्जित करना होगा!!"
"जब मैंने इसे प्राप्त कर लिया तो earn करने का क्या मतलब, कैसे ?"
"मेहनत से, लगन से, ईमानदारी से"
"वो तो मैं बचपन से करता हूँ, उससे नहीं मिलती "
"वही तो हम कह रहे हैं , तो तुम्हें कैसे मिली??"
"ये खुद मेरे पास आयी!!"
इतने में दोस्त आता है और ऐश्वर्या का हाथ छुड़ा कर ले जाता है! मैं और समाज बातों में उलझे हैं
"अब तुम्हें मानना होगा कि ऐश्वर्या तुम्हारी नहीं है !"
"शायद तुम ठीक कहते हो,"
इतने में समाज में से अंतरात्मा निकल कर आती है और अपना मुखौटा उतार मैं का हाथ पकड़ लेती है !
अंतरात्मा"तुमसे मुझसे कोई नहीं छीन सकता, ऐश्वर्य भी नहीं, क्योंकि जब तक तुम हो तब तक मैं रहूंगी। हो सकता है, तुम मेरी न सुनो, अपनी आत्मा की न सुनो, गुरु की भी न सुनो पर तुम्हें इस समाज में रहना है और ये समाज ही मेरा पोषण करता है, इसलिए मैं सदा तुम्हारे साथ हूँ"
"तो फिर आकांक्षा और ऐश्वर्या से कह दो कि मुझे कभी नज़र न आयें !"
अंतरात्मा "आकांक्षा तो हमेशा तुम्हें नज़र आएगी, उसी से तुहें अपने चलने की दिशा मिलेगी और ऐश्वर्या सदा दूसरों के साथ नज़र आएगी, तुम्हें अपने ऊपर ही संयम रखना होगा"
to be completed......
मैं " मेरी तो आकांक्षा ही ऐश्वर्या है?"
अंतरात्मा " तो फिर कोई प्रॉब्लम नहीं, तुम अपनी आकांक्षा को ही ऐश्वर्या समझो, वैसे भी अच्छी गुड लुकिंग है और ऐश्वर्या के पीछे मत भागो!"
मैं " नहीं मेरा मतलब है, की मैं तो ऐश्वर्या को ही प्राप्त करना चाहता हूँ !"
समाज, आत्मा, अंतरात्मा - सब एक साथ " झूठ, सफ़ेद झूठ" सब गाने लगते हैं " कि मैं झूठ बुलेया - हांजी , की मैं कुफ़र टोलिया - हाँ जी, भई हाँ जी "
मैं -" नहीं मैं सच बोल रहा हूँ!!"
आत्मा (हँसते हुए) - " तुम तो जानते ही नहीं की सच क्या है और झूठ क्या , वो तो मैं जानता हूँ, जिस दिन तुम्हें सच का ज्ञान हो गया उस दिन तुममे और मुझमें कोई फरक नहीं रह जाएगा ! तुम्हें तो ऐश्वर्या चाहिए ही नहीं, वो तो दोस्त को देख कर तुम्हें लगता है कि तुम्हें ऐश्वर्या चाहिए"
मैं " मैं नहीं मानता, तुम ये कैसे कह सकते ?"
आत्मा " मेरे पास खुशीमीटर है! तुम्हारा दोस्त जब वर्ल्ड ट्रिप कर के आया तो उसकी ख़ुशी की जो रीडिंग थी, उससे ज़्यादा वैल्यू तो जब तुम बचपन में लूडो खेलते थे तो ही आ जाती थी"
में " बचपन की बात अलग हैं, बच्चों को तो छोटी -छोटी चीज़ों से बड़ी खुशियाँ मिल जाती हैं पर अब मैं बड़ा हो गया हूँ, अब मुझे भी ख़ुशी लिए वो सब चाहिए जो बड़ों को चाहिए होता है"
आत्मा " ये ठीक कहा, बड़ों की ख़ुशी मीटर की रीडिंग्स गेनेराल्ल्य बच्चों से कम ही आती है, पर उस दिन जब तुम अपने बेटे के साथ खेल रहे थे तो काफी अच्छी वैल्यू दिखा रहा था ख़ुशी मीटर !"
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