Sunday, November 13, 2016

वायु प्रदूषण का सामना कैसे करें: चिकित्सा विशेषज्ञों के सुझाव: न हो साँस में संत्रास, हो ज़िन्दगी बेहतर हर स्वांस !!

वायु प्रदूषण का सामना कैसे करें:  चिकित्सा विशेषज्ञों के सुझाव

न हो साँस में संत्रास, हो ज़िन्दगी बेहतर हर स्वांस !!


डॉ. देश दीपक, डॉ. नितीश डोगरा, डॉ. रवि मेहर, डॉ. मनीष बंसल और डॉ. आनंद कृष्णन द्वारा निजीस्तर पर जनहित में जारी

स्मॉग क्या है?
स्मॉग शब्द स्मोक और फॉग दो शब्दों से मिलकर बना है । वायु में बादल के रूप में फैली पानी की छोटी-छोटी बूंदों के समूह को फॉग कहते हैं । यह स्वयं में हानिकारक नहीं होता क्योंकि इसमें कोई दूषित तत्व नहीं होते । किन्तु, जब फॉग, धुआँ अथवा अन्य दूषित तत्व वायु में मिल जाते हैं तो वातावरण में धुंधलापन आ जाता है, इसे स्मॉग कहते हैं । सबसे बड़ी बात यह है कि तब यह वायु मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त हानिकारक हो जाती है । 

यह मेरे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक क्यों है?
वायु में मिश्रित धुएँ में स्थूल (मोटे) एवं सूक्ष्म (बारीक) कण होते हैं। वायु की गुणवत्ता को मापने के लिए इन कणों के अतिरिक्त अन्य विभिन्न दूषित कणों का आकंलन किया जाता है, जिसे 'एयर क्वालिटी इंडेक्स'  (AQI) कहते हैं। हवा में मिश्रित सूक्ष्म कण अथवा पी एम 2.5 मानव स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव डालतें है । ये अत्यन्त छोटे-छोटे कण होते हैं जिनका आकार 2.5 माइक्रोन अथवा इससे भी कम होता है । ये आकार में इतने छोटे होते हैं कि छोटे से छोटे वायुमार्ग द्वारा शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और रक्त में मिलकर हृदय और मस्तिष्क जैसे शरीर के अन्य भागों को नुकसान पहुँचाते हैं । वर्तमान समय में इस वायु में सांस लेना स्वास्थ्य के लिए इमरजेंसी की तरह है । कहा जा सकता है कि अगर कोई व्यक्ति दो घन्टे तक खुले वातावरण में रहता है तो कम से कम 1 सिगरेट पीने के बराबर धुआँ उसके शरीर में सांस द्वारा चला जाता है।
  
वायु प्रदूषण के अल्पकालिक (तुरंत होने वाले)दुष्प्रभाव कौन से है

प्रदूषित हवा में सांस लेने से उपर्युक्त लक्षणों के अलावा नाक, आँख एवं गले में खारिश होना, आँखों में लाली, पानी आना, खांसी होना, छींके आना, नाक बहना, सांस फूलना जैसी शिकायत हो सकती हैं । यह देखा गया है कि वायु प्रदूषण का स्तर अचानक बढ़ जाने के कारण अस्पतालों के आपातकालीन विभाग में आने वाले और भर्ती होने वाले रोगियों की संख्या में भी काफी वृद्धि होती है। 


वायु प्रदूषण के दीर्घकालिक (लंबे समय में होने वाले) दुष्प्रभाव क्या है?
वायु प्रदूषण के दीर्घ कालिक दुष्प्रभाव के रूप में होने वाले रोगों में  साँस संबंधी रोग जैसे  दमा (अस्थमा और ब्रॉन्काइटिस), फेफड़ों का कैंसर, हृदयरोग और स्ट्रोक (लकवा) प्रमुख हैं । हाल ही में किए गए अध्ययनों के अनुसार वायु प्रदूषण से मानसिक रोग, मधुमेह, अवसाद और जोड़ों के विकार होने के अलावा बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी इसका हानिकारक प्रभाव पड़ता है ।

विशेष रूप से किन लोगों को ज्यादा खतरा है?
सांस एवं हृदय संबंधी रोगों से पीड़ित व्यक्तियों, वरिष्ठ नागरिकों, गर्भवती महिलाओं, बच्चों और ऐसे व्यक्ति जो लम्बे समय तक घर से बाहर रहते हैं, वायु प्रदूषण से उन्हें ज्यादा खतरा होता है ।

किस स्तर का वायु प्रदूषण मेरे लिए असुरक्षित है
PM 2.5 का स्तर 60 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर और AQI का स्तर 100 से कम होना चाहिए । वर्तमान परिस्थिति में ऐसे व्यक्ति जिनको वायु प्रदूषण से ज्यादा खतरा है (उपरोक्त) उन्हें घर पर ही रहना चाहिए। यदि PM 2.5 210 से अधिक या AQI  300 से अधिक हो तो घर से बाहर निकलते समय ऐसे लोगों को मास्क पहनना चाहिए । सामान्य लोगों के लिए वायु प्रदूषण का असुरक्षित स्त्तर लगभग 250 (PM2.5) और 400 (AQI) है ।

वायुप्रदूषण के स्तर को हम कैसे समझ सकते हूँ?
वायु प्रदूषण के स्तर को निम्न टेबल द्वारा समझा जा सकता है 

डोगरा – हृको असेसमेंट टूल

श्रेणी
वायुगुणवत्ता
इंडेक्स
 (AQI )
PM 2.5
(24 घंटे का औसत) माइक्रोन/मी. क्यूब 
स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव एवं बचाव के उपाय
अच्छा
0-100
0-60
वायु प्रदूषण से बहुत कम अथवा न के बराबर दुष्प्रभाव, बचाव के उपायों की आवश्यकता नहीं
मध्यम
101-200
61-91
संवेदनशील वर्ग
स्वास्थ्य पर ध्यान दें, लम्बे समय तक खुले वातावरण में रहने या भारी काम करने से बचे ।
आम जनता
वायु प्रदूषण से बहुत कम अथवा न के बराबर दुष्प्रभाव, बचाव के उपायों की आवश्यकता नहीं
खराब
201-300
91-210
संवेदनशील वर्ग
सांस संबंधी परेशानी बढ़ने का खतरा, लम्बे समय तक अथवा भारी काम करने से बचें
आम जनता
किसी भी व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत महसूस होनी शुरू हो सकती है ।
बहुत खराब
301-400
211-252
स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी, किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य पर गम्भीर दुष्प्रभाव पड़ सकता है । साँस के रोगों में वृद्धि हो सकती है ।



संवेदनशील वर्ग
लम्बे समय तक बाहर रहने और भारी काम करने से बचें
आम जनता
लम्बे समय तक बाहर रहने और भारी काम को कम करें
गम्भीर/संकट पूर्ण
401-500
253+
स्वास्थ्य चेतावनी । आम लोगो को भी सांस के रोग होने का खतरा,   हर व्यक्ति को चाहिए कि वह खुले में काम करने से बचे, संवेदनशील व्यक्ति घर में ही रहे और शारीरिक काम कम से कम करें ।

सिस्टम और एयर क्वालिटी फोरकास्टिंग एण्ड रिसर्च (SAFAR-India) वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन 2015 से प्राप्त

संवेदनशील वर्ग
बच्चे, वृद्ध, गर्भवती महिलाएँ, श्वसन एवं हृदय रोग से ग्रसित व्यक्ति ।

हम स्वयं को घर में कैसे सुरक्षित रख सकते हैं ?
अन्तर्राष्ट्रीय अध्ययनों से इस बात का पता चलता है कि HEPA फिल्टर युक्त वायु शुद्ध करने वाले यन्त्र (एयर प्यूरिफायर) काफी कारगर हैं, विशेष रूप से अस्थमा के रोगियों को रात में होने वाली परेशानियों में इनसे काफी आराम मिलता है । अन्य प्रकार के एयर प्यूरिफायर भी लाभदायक हो सकते हैं । हालांकि ओजोन पैदा करने वाले एयर प्युरिफायर से बचना चाहिए चूँकि इनसे ओजोन के दुष्प्रभावों का खतरा भी रहता है । सुबह और शाम को खिड़कियाँ बंद रखी जाएँ और दिन के समय जब प्रदूषण का स्तर तुलनात्मक रूप से कम हो तब घर के दरवाजे-खिड़की खुली रखी जाएँ । HEPA फिल्टर युक्त ए.सी. का प्रयोग भी कुछ हद तक बचाव करता है ।
हम स्वयं को घर से बाहर कैसे सुरक्षित रख सकते हैं ?
घर से बाहर किस प्रकार की सावधानी लेनी चाहिए यह बाहर के प्रदूषण के स्तर पर निर्भर करता है। बाँयीं तरफ दी गयी टेबल इसमें मददगार होगी । N95 एवं N99 मास्क के प्रयोग से बाह्यक्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है । वर्तमान परिस्थितियों में डिस्पोज़ेबल मास्क दो सप्ताह से अधिक नहीं पहने जाने चाहिए । धुल सकने वाले मास्क में भी जब सांस लेने में परेशानी होने लगे तो उन्हें नहीं पहनना चाहिए क्योंकि यह भी छनने की संतृप्तता का संकेत हो सकता है । नेज़ल फिल्टर एक अन्य विकल्प है जो कुछ राहत दे सकता है ।

यात्रा के दौरान मैं अपने को वायु प्रदूषण से कैसे बचा सकता हूँ?
यातायात के सार्वजनिक साधनों जैसे मैट्रो आदि में मास्क प्रदूषण से बचाता है और भीड़ भरे वातावरण में होने वाले संभावित संक्रमण का सुरक्षा कवच भी है । कारों और अन्य निजी वाहनों में ए. सी. को रि-सर्कुलेशन मोड पर डालने से भी हवा की गुणवत्ता में कुछ सुधार होता है ।

मुझे चिकित्सक की सलाह कब लेनी चाहिए
यदि निम्न प्रकार का कोई भी लक्षण महसूस होता है तो चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिएः- सांस लेने में परेशानी और घरघराहट, छाती में जकड़न और पसीना आना, रक्त-चाप में उतार-चढ़ाव, धड़कन बढ़ना, चक्कर अथवा मूर्च्छा आदि ।

साभार

डॉ. जे.के. सैनी, डॉ. सजल डे, डॉ. अनुराधा शुक्ला, डॉ. वरूण काकड़े एवं हिंदी विभाग, डॉ रा. म. लो. हस्पताल। 

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