Wednesday, December 7, 2022

तू नही तो ये खत किसके नाम है!!

aaj bahut neend aayi hai,
aur kal bada kaam hai
sone ko der ho chali
aur sharir maang raha aram hai,
par kambhaqt yeh mann
sone nahin deta
bojhal aankhon se
kavita kahata hai
sunn ho rahe dimag se
kaafiya milwata hai
aur zhooth bolta hai
ki baat tujhse ho rahi hai,
halanki main janta hoon,
ki tu to so rahi hai
tera na hokar bhi hona hai
kyunki tu to meri kalpna hai
mere har avahaan pe
tu khadi hai
mujhse guftgu kar rahi hai
mere mann chahe jawab de rahi
mere mann chahe sawal kar rahi
yakeenan, ishq tujhse nahin
mujhe apni kalpna se hai

par mere aur meri kalpana ke beech
tu kya kar rahi hai?

Friday, September 30, 2022

तुम्हारा स्पर्श से ही जीवन है

 परिमित है

वो समय जो एक साथ व्यतीत कर सकते हैं!

ज़िंदगी है

वो चिंगारी जो उत्तपन्न होती है साथ होने से!

एक चकमक पत्थर है

तुम्हारा स्पर्श जो जीवन को जीवंत करता है!

 

जीवन तो सदैव रहेगा

उसकी आँखों में,

क्योंकि वो जीवित है

उसी स्पर्श से !

उसकी आँखों में जीवन

तो तुम्हारे जीवन की चमक का प्रतिबिंब है

 

सांसें थक सकती हैं

लेकिन जीवन कभी नहीं

यह वहाँ रहेगा, हमेशा ....तुम्हारे लिए !!

Saturday, July 23, 2022

Life in his eyes

It is finite

the time that we get together!

It is life

the spark that ignites when we are together!

It is a flint stone

when your touch brings out the life 

There would always be life

the spark of life 

life in his eyes

whenever the flint stone is there to touch

in spite of the finitude

the breath may get exhausted

but never the life

the life in his eyes

the life in his eyes that you see

the reflection of life in his eyes

it will be there, forever for you!!


Saturday, June 11, 2022

किश्ती

कहीं से पकड़ूँ तो कहीं से रिसती है 

हर किनारे को छोड़ सिर्फ धारा में बस्ती है 

जाने कौन से सफर पे 

ये मेरी कश्ती है!!

 

naam uska

क्षमता हमारे विवेक की 

मानव जो भी हैं, हर एक की 

यही है 

की जानने को कुछ भी 

निराकार या साकार 

भाव या रूप 

उसे एक नाम चाहिए 

और उस विचार को 

किसी और तक पहुँचाने के लिए भी 

एक नाम चाहिए!

नाम उसे भी चाहिए 

जो सब कुछ है!

अति-सूक्ष्म से बृहद-व्यापक है 

चल-अचल, जड़-चेतन,

आदि-अनंत, 

मूढ़ से चेतना तक 

विचार से शब्द तक 

कुछ नहीं से सब कुछ तक 

उसे भी नाम चाहिए!

उसको पहचानने को,

उसके सिमरन को 

उससे शिकायत को 

उसे याद रखने को 

उसे भूल जाने को 

नाम चाहिए !

जिस भाव में, जिस रूप में 

देखते हैं 

वही उसका नाम हो जाता है !

क्योंकि सब कुछ वही है 

तो हर नाम उसी का है 

पर कुछ नाम बहुत पावन हैं 

शुद्ध अंत:करण को करते हैं 

जब हम उनको स्मरण करते हैं !



 

आघात या घात का तात्पर्य

 घात - 'घात' शब्द अनेकों रूप में प्रयोग किया जाता है! इसका एक सामान्य अर्थ होता है 'छुप कर वार करना'। घात शब्द का गणित में प...