अब तो इंतज़ाम तमाम हो गए
मेरे अश्क अब इब्तिसाम हो गए
शिकवे हसीं पैगाम हो गए
उनसे मिलने को डरता था मैं
लेकिन अब क्या,
अब तो ये चर्चे आम हो गए
रुसवाई का भी मज़ा है अपना
प्याले ज़हर के अब जाम हो गए
जो भी हो लुत्फ़ आया बड़ा
यारों की यारी में हम तमाम हो गए
मेरे अश्क अब इब्तिसाम हो गए
शिकवे हसीं पैगाम हो गए
उनसे मिलने को डरता था मैं
लेकिन अब क्या,
अब तो ये चर्चे आम हो गए
रुसवाई का भी मज़ा है अपना
प्याले ज़हर के अब जाम हो गए
जो भी हो लुत्फ़ आया बड़ा
यारों की यारी में हम तमाम हो गए
ibtisaam = smile
ReplyDelete