Thursday, December 22, 2016

VM newschannel

Vyarth malhotra"namaskar, Aaj ki sabse badi khabar jo dil dehla dene wali hai aayiye us par nazar daalte hain. Aaj 'bhindiyan against water-melon' yani ki BAW party ki meeting main regress party ke ek ghuspaithiye ne joote se ghatak hamla kiya. BAW ke chief Ungrind Kesaridal ke bal, bal bal bache. AAyiye hum aapko ghatna sthal par le chalte hain jahan hamare samwad data chipak dorasssiyan chipke hue hain"
Vyarth "Haan, Chipak, batayiye aaj kya hua"
Chipak waiting in anticipation.
VM"kya hamari awaz aap tak pahunch rahi hai, lagta hai ye sarkar ki tarah mehsoos kar hain, hamari awaz in tak nahin pahunch rahi"
Chipak making certain movements of mouth.
VM " Chipak ab aapki awaz hum tak nahin pahunch rahi"
Chipak"Nahin maine to abhi kuchh bola hi nahin, main to apna khana khatam kar raha tha"
VM " To Chipak humein batayein aaj kya hua"
Chipak "namaskar, Aaj ki sabse badi khabar jo dil dehla dene wali hai aayiye us par nazar daalte hain. Aaj 'bhindiyan against water-melon' yani ki BAW party ki meeting main regress party ke ek ghuspaithiye ne joote se ghatak hamla kiya. BAW ke chief Ungrind Kesaridal ke bal, bal bal bache."
VM "ye to main bol chuka hoon, aap apni script sunayein"
Chipak " to aayiye nazar dalte hain us mahan joote par jo ki koi sadharan joota nahin hain. yeh hai woh joota. ise gaur se dekhiye, kya ye masoom dikhne wala joota kisi ko ghayal kar sakta hai. Ise aur karib se dekhiye, kya ye joota nikki ka hai, ya rebhaunk ka hai, ya phir ye bhata ka hai. iski jaankari prapt karne ke liye humne bhata company ke malik jwarbhata se baat ki.
"haan ji jwar bhata ji aapka kya kehna hai?
" Ji hamara is hadse se koi lena dena nahin hai'
" kya ye joota aapki company ka hai"
"Ji humne is kism ke joote 2009-2011 ke beech banaye lekin hamara joota kisi bhi party ke log matr kuchh rupye aur 95 paise mein kharid sakte hai, hume kisi vishesh party ke liye kisi joote ka nirman nahin kiya'
'95 paise kyon"
" woh hamara totka hai
"sale badhane ka?"
"nahin, logon ko bewakoof banane ka"
"aapko kya lagta hai kya ye joota apki company ka ho sakta hai"
"is samay kuchh bhi kehna theek nahin, abhi humein apne records check karne honge lekin ye baat saf hai ki is ghatna main hamara koi haath nahin hai, isme kya hamara kisi bhi ghatna mein koi haath nahin hai"
" aap aisa kaise keh sakte hain"
" kyunki joota hum sirf pairon ke kiye banate hain, naki haath ke liye. Isme rebhaunk company ka haath ho sakta hai, wo gloves bhi banate gain"
Chipak" jaisa ki aapne dekha jwarbhata ji naye joote ki tarah saaf bach kar nikal gaye aur rebhaunk company par ilzaam madh diya. Aaiye abh aapko rebhaunk company ke maalik shri Tommy bowie se milwate hain"
Tommy' bow wow"
Chipak ' Ji aap bhaunk kyon rahen hain"
 Tommy " bow wow"
Chipak" app phir bhaunke"
Tommy "ji nahin, do baar bhaunkne ki awaz, ye hamari signture tune hai, hum rebhaunk hai na"
Chipak "aapka is ghatna ke baare mein kya kehna hai?"
Tommy " Ghatna bahut kharab hai, hum sirf badhne mein vishwas karte hain, aap hamari sales figure utha ke dekhiye, hamesha badhti hain, kabhi ghatti nahin"\
Chipak " aapka is joote ke baare mein kya kehna hai"
Tommy " ye joota, hamara nahin hain, humne apne joote pehan rakhe hain"
Chipak " par is joote par apka logo hai?"
Tommy " Logon ka kya hai, kuchh to log kahenge, logon ka kaam hai kehna!"
Ch " Logon nahin, logo, symbol"
Tommy " Logo, arre, airport mein kitne haath bane hain, to kya woh kisi party ka ho gaya, aur fir logo to duplicate bhi ho sakta hai'
Ch " lekin apki signature tune hai bow wow aur party ka naam hai 'BAW', isliye hamein yakeen hai, aap bhi is haadse se jude hue hain"
Tommy kuchh bolta hai par audible nahin hai!
Vyarth malhotra "Lagta hai satellite problem hai, to aapne dekha ki sabse pehle hamare channel ne 'breaking news' mein news to tod marod kar ye saabit kar diya ki iss mamuli dikhne wale ghatna kram ke peeche bade bade industrialists ka haath hai, ab dekhna ye hai ki 'BAW' ka agla kadam kya hoga, aayiye unke spokesperson se baat karte hain jo hamare studio mein upasthit hain"
" namaskar, ab apka agla kadam kya hoga?"
"ji, agla kadam lene se pehle hamein doosra joota dhoondhna hoga"
"ye pata lagane ke liye ki joota kiska tha??"
"nahin, ek joota pehan kar kitni door jaayenge!"


Sunday, November 13, 2016

वायु प्रदूषण का सामना कैसे करें: चिकित्सा विशेषज्ञों के सुझाव: न हो साँस में संत्रास, हो ज़िन्दगी बेहतर हर स्वांस !!

वायु प्रदूषण का सामना कैसे करें:  चिकित्सा विशेषज्ञों के सुझाव

न हो साँस में संत्रास, हो ज़िन्दगी बेहतर हर स्वांस !!


डॉ. देश दीपक, डॉ. नितीश डोगरा, डॉ. रवि मेहर, डॉ. मनीष बंसल और डॉ. आनंद कृष्णन द्वारा निजीस्तर पर जनहित में जारी

स्मॉग क्या है?
स्मॉग शब्द स्मोक और फॉग दो शब्दों से मिलकर बना है । वायु में बादल के रूप में फैली पानी की छोटी-छोटी बूंदों के समूह को फॉग कहते हैं । यह स्वयं में हानिकारक नहीं होता क्योंकि इसमें कोई दूषित तत्व नहीं होते । किन्तु, जब फॉग, धुआँ अथवा अन्य दूषित तत्व वायु में मिल जाते हैं तो वातावरण में धुंधलापन आ जाता है, इसे स्मॉग कहते हैं । सबसे बड़ी बात यह है कि तब यह वायु मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त हानिकारक हो जाती है । 

यह मेरे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक क्यों है?
वायु में मिश्रित धुएँ में स्थूल (मोटे) एवं सूक्ष्म (बारीक) कण होते हैं। वायु की गुणवत्ता को मापने के लिए इन कणों के अतिरिक्त अन्य विभिन्न दूषित कणों का आकंलन किया जाता है, जिसे 'एयर क्वालिटी इंडेक्स'  (AQI) कहते हैं। हवा में मिश्रित सूक्ष्म कण अथवा पी एम 2.5 मानव स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव डालतें है । ये अत्यन्त छोटे-छोटे कण होते हैं जिनका आकार 2.5 माइक्रोन अथवा इससे भी कम होता है । ये आकार में इतने छोटे होते हैं कि छोटे से छोटे वायुमार्ग द्वारा शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और रक्त में मिलकर हृदय और मस्तिष्क जैसे शरीर के अन्य भागों को नुकसान पहुँचाते हैं । वर्तमान समय में इस वायु में सांस लेना स्वास्थ्य के लिए इमरजेंसी की तरह है । कहा जा सकता है कि अगर कोई व्यक्ति दो घन्टे तक खुले वातावरण में रहता है तो कम से कम 1 सिगरेट पीने के बराबर धुआँ उसके शरीर में सांस द्वारा चला जाता है।
  
वायु प्रदूषण के अल्पकालिक (तुरंत होने वाले)दुष्प्रभाव कौन से है

प्रदूषित हवा में सांस लेने से उपर्युक्त लक्षणों के अलावा नाक, आँख एवं गले में खारिश होना, आँखों में लाली, पानी आना, खांसी होना, छींके आना, नाक बहना, सांस फूलना जैसी शिकायत हो सकती हैं । यह देखा गया है कि वायु प्रदूषण का स्तर अचानक बढ़ जाने के कारण अस्पतालों के आपातकालीन विभाग में आने वाले और भर्ती होने वाले रोगियों की संख्या में भी काफी वृद्धि होती है। 


वायु प्रदूषण के दीर्घकालिक (लंबे समय में होने वाले) दुष्प्रभाव क्या है?
वायु प्रदूषण के दीर्घ कालिक दुष्प्रभाव के रूप में होने वाले रोगों में  साँस संबंधी रोग जैसे  दमा (अस्थमा और ब्रॉन्काइटिस), फेफड़ों का कैंसर, हृदयरोग और स्ट्रोक (लकवा) प्रमुख हैं । हाल ही में किए गए अध्ययनों के अनुसार वायु प्रदूषण से मानसिक रोग, मधुमेह, अवसाद और जोड़ों के विकार होने के अलावा बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी इसका हानिकारक प्रभाव पड़ता है ।

विशेष रूप से किन लोगों को ज्यादा खतरा है?
सांस एवं हृदय संबंधी रोगों से पीड़ित व्यक्तियों, वरिष्ठ नागरिकों, गर्भवती महिलाओं, बच्चों और ऐसे व्यक्ति जो लम्बे समय तक घर से बाहर रहते हैं, वायु प्रदूषण से उन्हें ज्यादा खतरा होता है ।

किस स्तर का वायु प्रदूषण मेरे लिए असुरक्षित है
PM 2.5 का स्तर 60 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर और AQI का स्तर 100 से कम होना चाहिए । वर्तमान परिस्थिति में ऐसे व्यक्ति जिनको वायु प्रदूषण से ज्यादा खतरा है (उपरोक्त) उन्हें घर पर ही रहना चाहिए। यदि PM 2.5 210 से अधिक या AQI  300 से अधिक हो तो घर से बाहर निकलते समय ऐसे लोगों को मास्क पहनना चाहिए । सामान्य लोगों के लिए वायु प्रदूषण का असुरक्षित स्त्तर लगभग 250 (PM2.5) और 400 (AQI) है ।

वायुप्रदूषण के स्तर को हम कैसे समझ सकते हूँ?
वायु प्रदूषण के स्तर को निम्न टेबल द्वारा समझा जा सकता है 

डोगरा – हृको असेसमेंट टूल

श्रेणी
वायुगुणवत्ता
इंडेक्स
 (AQI )
PM 2.5
(24 घंटे का औसत) माइक्रोन/मी. क्यूब 
स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव एवं बचाव के उपाय
अच्छा
0-100
0-60
वायु प्रदूषण से बहुत कम अथवा न के बराबर दुष्प्रभाव, बचाव के उपायों की आवश्यकता नहीं
मध्यम
101-200
61-91
संवेदनशील वर्ग
स्वास्थ्य पर ध्यान दें, लम्बे समय तक खुले वातावरण में रहने या भारी काम करने से बचे ।
आम जनता
वायु प्रदूषण से बहुत कम अथवा न के बराबर दुष्प्रभाव, बचाव के उपायों की आवश्यकता नहीं
खराब
201-300
91-210
संवेदनशील वर्ग
सांस संबंधी परेशानी बढ़ने का खतरा, लम्बे समय तक अथवा भारी काम करने से बचें
आम जनता
किसी भी व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत महसूस होनी शुरू हो सकती है ।
बहुत खराब
301-400
211-252
स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी, किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य पर गम्भीर दुष्प्रभाव पड़ सकता है । साँस के रोगों में वृद्धि हो सकती है ।



संवेदनशील वर्ग
लम्बे समय तक बाहर रहने और भारी काम करने से बचें
आम जनता
लम्बे समय तक बाहर रहने और भारी काम को कम करें
गम्भीर/संकट पूर्ण
401-500
253+
स्वास्थ्य चेतावनी । आम लोगो को भी सांस के रोग होने का खतरा,   हर व्यक्ति को चाहिए कि वह खुले में काम करने से बचे, संवेदनशील व्यक्ति घर में ही रहे और शारीरिक काम कम से कम करें ।

सिस्टम और एयर क्वालिटी फोरकास्टिंग एण्ड रिसर्च (SAFAR-India) वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन 2015 से प्राप्त

संवेदनशील वर्ग
बच्चे, वृद्ध, गर्भवती महिलाएँ, श्वसन एवं हृदय रोग से ग्रसित व्यक्ति ।

हम स्वयं को घर में कैसे सुरक्षित रख सकते हैं ?
अन्तर्राष्ट्रीय अध्ययनों से इस बात का पता चलता है कि HEPA फिल्टर युक्त वायु शुद्ध करने वाले यन्त्र (एयर प्यूरिफायर) काफी कारगर हैं, विशेष रूप से अस्थमा के रोगियों को रात में होने वाली परेशानियों में इनसे काफी आराम मिलता है । अन्य प्रकार के एयर प्यूरिफायर भी लाभदायक हो सकते हैं । हालांकि ओजोन पैदा करने वाले एयर प्युरिफायर से बचना चाहिए चूँकि इनसे ओजोन के दुष्प्रभावों का खतरा भी रहता है । सुबह और शाम को खिड़कियाँ बंद रखी जाएँ और दिन के समय जब प्रदूषण का स्तर तुलनात्मक रूप से कम हो तब घर के दरवाजे-खिड़की खुली रखी जाएँ । HEPA फिल्टर युक्त ए.सी. का प्रयोग भी कुछ हद तक बचाव करता है ।
हम स्वयं को घर से बाहर कैसे सुरक्षित रख सकते हैं ?
घर से बाहर किस प्रकार की सावधानी लेनी चाहिए यह बाहर के प्रदूषण के स्तर पर निर्भर करता है। बाँयीं तरफ दी गयी टेबल इसमें मददगार होगी । N95 एवं N99 मास्क के प्रयोग से बाह्यक्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है । वर्तमान परिस्थितियों में डिस्पोज़ेबल मास्क दो सप्ताह से अधिक नहीं पहने जाने चाहिए । धुल सकने वाले मास्क में भी जब सांस लेने में परेशानी होने लगे तो उन्हें नहीं पहनना चाहिए क्योंकि यह भी छनने की संतृप्तता का संकेत हो सकता है । नेज़ल फिल्टर एक अन्य विकल्प है जो कुछ राहत दे सकता है ।

यात्रा के दौरान मैं अपने को वायु प्रदूषण से कैसे बचा सकता हूँ?
यातायात के सार्वजनिक साधनों जैसे मैट्रो आदि में मास्क प्रदूषण से बचाता है और भीड़ भरे वातावरण में होने वाले संभावित संक्रमण का सुरक्षा कवच भी है । कारों और अन्य निजी वाहनों में ए. सी. को रि-सर्कुलेशन मोड पर डालने से भी हवा की गुणवत्ता में कुछ सुधार होता है ।

मुझे चिकित्सक की सलाह कब लेनी चाहिए
यदि निम्न प्रकार का कोई भी लक्षण महसूस होता है तो चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिएः- सांस लेने में परेशानी और घरघराहट, छाती में जकड़न और पसीना आना, रक्त-चाप में उतार-चढ़ाव, धड़कन बढ़ना, चक्कर अथवा मूर्च्छा आदि ।

साभार

डॉ. जे.के. सैनी, डॉ. सजल डे, डॉ. अनुराधा शुक्ला, डॉ. वरूण काकड़े एवं हिंदी विभाग, डॉ रा. म. लो. हस्पताल। 

Sunday, October 23, 2016

अन्तर्द्वन्द्व : एक नाटिका

अन्तर्द्वन्द्व : एक नाटिका

Characters:
1. Main (मैं )
२. आत्मा
३. अन्तरात्मा
४. गुरु
५, भगवान
६. समाज
7.दोस्त
८. आकांक्षा

Enter मैं
" मैं, मैं हूँ। एक middle class professional गृहस्थ। मैं चाहता हूँ की मैं खुश रहूँ, और अक्सर रहता भी हूँ।  पर जब मैं अपने दोस्त को देखता हूँ (Enter dost, on the other side of the stage,  wearing executive suit, wears goggles on stage facing audience and doing business as 'main' speaks)(Main looking at 'dost')
तो कहीं एक हीनता की भावना पैदा होती है।  मैं क्यों नहीं उसके जितना समृद्ध हूँ? मेरे पास वो सब क्यों नहीं जो उसके पास है?
Dost moves towards 'main' and talks to him
Dost "और क्या हाल हैं?" (बैकग्राउंड से आवाज़ आती है "अभी त्तक तो ठीक ही थे ")" अरे यार, इस बार new york मैं बड़ा मज़ा आया, बच्चों ने छुट्टियाँ बहुत एन्जॉय कीं, हम तो एग्जीक्यूटिव क्लास से गए, best 5 star mien ruke aur niagra falls bhi dekh liya! Tu bhi to kahin jaane wala tha??"
Main "हम्म्म! हम तो यार वो, क्या है की, वो बीवी के मायके गोंडा चले गए थे, बस कहीं और जाने का समय ही नहीं मिला!"
दोस्त " बढ़िया है, बढ़िया है, तेरे तो पैसे बच गए यार! चल मैं चलता हूँ!" (dost leaves the stage)
Main to the audience " मेरी भी इच्छाएं हैं, मैं भी चाहता हूँ की मैं बहुत सक्सेसफुल हूँ, सब मुझे भी आदर भाव से देखें, मेरी भी आकांक्षा है........ "
a girl enters the stage, comes and holds his hand and starts pulling him
Main "अरे तुम कौन हो??"
गर्ल " आकांक्षा!"
मैं " कौन आकांक्षा??"
आकांशा "तुम्हारी अकांक्षा.... "
मैं " अरे धीरे बोलो, कहीं मेरी बीवी ने सुन लिया तो!!"
आकांक्षा " मैं तुम्हे ले जाने आई हूँ, बहुत दूर, बहुत ऊँचे, जहाँ तुम जाना चाहते हो।  जहाँ तुम हमेशा खुश रहोगे!"
मैं (हाथ झिड़कते हुए) " हटो! ऐसी कोई जगह नहीं होती जहाँ कोई हमेशा खुश रहता है।  मुझे उल्लू मत बनाओ" (बैकग्राउंड से 'नो उल्लू बनायोइंग, नो  उल्लू बनायोइंग"
आकांक्षा मायूस हो चली जाती है!
Main to audience " मैं भी इतना बेवक़ूफ़ नहीं हूँ! मैं भी पैसे कमाने के तरीके जानता हूँ! आखिर मुझे भी तो अपने परिवार को खुश रखना है।  कल मैंने भी एक आदमी को चूना लगाया और कुछ पैसे बना लिए!" (develop and connect with atma mar chuki hai)
Enter atma " Hu ha hahahahaa"
main " तू कौन है?? राक्षस ?"
आत्मा (ज़ोर से) "बेवकूफ!  आत्मा को राक्षस बोलते हो, अगर मैं राक्षस हूँ, तो तुम्ही राक्षस हो जाओगे। मैं हूँ तुम्हारी आत्मा !"
मैं " पर मुझे तो कल किसी ने बोला की तुम्हारी आत्मा मर चुकी है, फिर  तुम…?"
आत्मा "मूर्ख! आत्मा अजर अमर है, मैं न पैदा होता हूँ, न मुझे कोई मार सकता है! अरे गीता नहीं पढ़ी तो कम से कम सीरियल तो देखे होंगे "
मैं " जब भी मैं पैसों की बात करता हूँ तुम कहाँ से टपक पड़ते हो?"
आत्मा " हु हाहाहाहा ! मैं कोई फल नहीं जो टपकुं, मैं तो तुम्हारे अंदर ही हूँ "
stage par ek flashy dress mein ladki muskurate aur gestures karte hue
Main uski taraf bhagne lagta hai
Atma "kahan ja rahe ho?/"
main " wo dekho aishwarya"
Atma " kaun aishwarya rai?"
Main " nahin! aishwarya, sare sukh, aish,aram"
Atma exits (why? atma ko aishwarya - aisho-aram se kya kaam, atma ko agni jala nahi sakti, vayu sukha nahin sakti aur asihwarya lubha nahin sakti...)
Antaratma ( a girl) enters and holds back main
Main ' ab tum kaun ho?"
Antaratma '" main tumhari antaratma"
Main " wo to pehle hi aa chuki hai na"
antaratma " nahin wo to atma thi, main antaratma hoon!'
Main ' lekin tum to ladki ho, tum meri antaratma kaise ho sakti ho?"
Antaratma " antaratma hoti hai, hota nahin isliye main to ladki hi hoon!"
main " par atma bhi to hoti hai, hota nahin, to wo phir ladka kaise tha, thi, whatever!"
Antaratma " arre atma to unisex hai, kisi main bhi ghus sakti hai, "
Main " to tum bisexual ho?"
antaratma " isiliye tumhari biwi kehti hai ki tum hamesha sex ke baare mein hi sochte rehte ho.main antaratma hoon, tumhara man, tumhari soch!"
Main " confuse mat karo, tumhari anatomy galat hai, tum mera heart ho ya brain ho???"
Antaratma "मैं तुम्हारी वैल्यूज हूँ, जो सही हैं, तुम्हें गलत काम करने से रोकती हैं"
मैं "तो तुम कल कहाँ थीं?"
अंतरात्मा "कल मेरा ऑफ था! क्यों तुमने कोई गलत काम किया? पर 'आत्मा' तो कॉल पर थी!
आत्मा झुंझलाते हुए एंटर करती है
आत्मा " आत्मा कॉल पर थी का क्या मतलब है, मैं तो 24 बाई 7 कॉल पर हूँ, ज़िन्दगी भर और इवन उसके बाद भी, मैं किस किस का काम देखूँ, एक इंडिविजुअल पर इतना काम होगा तो क्वालिटी तो सफ़र करेगी ही! जो गलत काम कर रहा है उसका कुछ नहीं, सारा blame मुझ पर ही क्यों? इसको बोलो ..."
अंतरात्मा "तो क्या किया तुमने कल ?"
मैं " उससे तुम्हें क्या मतलब, तुम्हें बताया तो ज़िन्दगी भर तुम मुझे कोसती रहोगी! वैसे तुम्हारी वेकेशन्स नहीं होती क्या?"
अंतरात्मा " लगता है तुम मुझे मार ही डालोगे, और क्या करना चाहते हो?"
मैं "चाहता तो बहुत कुछ हूँ, पर तुम करने दो तब न, करप्शन के टाइम तुम्हारा ऑफ हो जाता है, पर जब ऐश्वर्या आती है तो तुम सबसे अलर्ट हो जाती हो??"
अंतरात्मा "तो ये बात है!! ये तो अपनी-अपनी नेचर है, मेरी अपब्रिंगिंग में मोरल वैल्यूज ज़्यादा इम्पोर्टेन्ट हैं, छोटा मोटा करप्शन फिर भी चलता है"
मैं " तो तुम मेरे दोस्त को क्यों नहीं रोकतीं ?'
अंतरात्मा " मैं तुम्हारी अंतरात्मा हूँ, उसे कैसे रोकूंगी? उसे तो उसकी अंतरात्मा को रोकना चाहिए, लेकिन उसकी अंतरात्मा की वैल्यूज अलग हैं, इसलिए वह उसे नहीं रोकती!"
मैं " तो तुम उसकी अंतरात्मा बन जायो और उसकी वाली मुझे  भेज दो"
अंतरात्मा" ऐसे थोड़े ही होता है,   मैं तो तुम्हारे साथ ही बड़ी हुई हूँ और तुम्हारे साथ ही रहूंगी!!" (develop)
मैं "कोई ज़बरदस्ती है? तुम्हारे ऊपर कौन है, मुझे उससे बात करनी है ? ये आत्मा ??"
अंतरात्मा "नहीं ये तो सिर्फ डे टू डे functioning के लिए है, मेरे ऊपर तो बस भगवान् है??
मैं "ठीक है, बुलायो भगवान को, अभी तुम्हारी ट्रांसफर कराता हूँ!"
आत्मा " भगवान् अवेलेबल नहीं हैं, अभी मैं ही इंचार्ज हूँ!" (develop)
मैं" वैसे कहते हैं, भगवान् कण कण में है पर ज़रुरत के टाइम ऑलवेज नॉट-अवेलेबल, क्या फायदा ऐसे भगवान् का?"
आत्मा "अंतरात्मा चेंज नहीं होती, ऐसा कोई लॉ है ही नहीं?"
मैं "तुम झूट बोलते हो!"
आत्मा (चिल्लाते हुए) " आत्मा झूट नहीं बोलती, हुहहहहह !!"
मैं " तो फिर अर्जुन, जो शुरू मैं इतना ऑनेस्ट था बाद में इतना अय्याश कैसे हो गया?"
आत्मा " उसकी अंतरात्मा तो मर गयी थी, और फिर वो पोजीशन vacant थी, हमने कॉन्ट्रैक्ट पर रखने की कोशिश की थी पर...... फुल्ली डेवलप्ड अच्छी अंतरात्मा आजकल मिलती कहाँ है?? तुम तो खुश किस्मत हो जो तुम्हें ऐसी अंतरात्मा मिली"
मैं " तो क्या मुझे ऐशो आराम का कोई हक़ नहीं है? इतना डिस्क्रिमिनेशन क्यों है?"
ऐश्वर्या "ओह, मुझे तो यहाँ suffocation हो रही है, जहाँ लोग इतना सोचते हैं, मैं तो वहां जाती ही नहीं हूँ! मुझे डिबेट बिलकुल पसंद नहीं है और मैं उससे दूर ही रहती हूँ!"
मैं (आत्मा और अंतरात्मा से) " तुम दोनों यहाँ से जायो, कहीं तुम्हारे चक्कर में ऐश्वर्या चली न जाये!!"
आत्मा "बेवक़ूफ़, मैं चला गया तो तुम मर जायोगे!'
मैं " ठीक है, फिर नज़र मत आयो, तुम तो नोर्मल्ली भी नज़र नहीं आते न !"
आत्मा "अरे तुम अच्छे आदमी हो, क्यों बुराई की तरफ भाग रहे हो, वह देखे तुम्हारी अंतरात्मा कराह रही है और मरने वाली है, उसे बचायो!"
अंतरात्मा छटपटाने लगती है और मूर्छित हो जाती है!
मैं "अब कुछ अच्छा लग रहा है!!"
आत्मा ' इसको कौन समझायेगा, लगता है गुरु को बुलाना पड़ेगा"
गुरु enters
आत्मा (गुरु से ) " गुरु जी इसे बचाइए! ये अपनी अंतरात्मा को मार ऐश्वर्या की आग़ोश में खो जाना चाहता है"
गुरु (मुस्कुराते हुए) "वत्स तुम चिंता मत करो! ये मिडिल क्लास आदमी है, ये सिर्फ ऐश्वर्या के बारे में सोच सकते हैं, ये जैसे ही उसके पास जायेगा इसकी अंतरात्मा फिर जाग जाएगी, ये फीडबैक लूप मिडिल क्लास में शुरू से ही इन्सटाल्ड होता है, इसको बाई-पास नहीं कर सकता"
आत्मा " तो फिर ये इतना शोर क्यों मचा रहा है ??"
गुरु " कभी-कभी सिस्टम में वायरस आ जाता है और वो हाई क्लास को imitate करने लगता है, पर ये ऐश्वर्या वाला app इसके सिस्टम से कम्पेटिबल ही नहीं है!"
अंतरात्मा थोड़ा उठने लगती है
तभी मैं आक्रामक हो उठता है और अंतरात्मा का गाला घोटने लगता है, गुरु और आत्मा उसे छुड़ाने की कोशिश करते हैं, ऐश्वर्या ज़ोर से हँसने लगती है!
अंतरात्मा निढाल हो जाती है, मैं गुरु को धकेल कर ऐश्वर्य की तरफ दौड़ता है और उसका हाथ पकड़ लेता है और ऊंचे स्वर में बोलता है
"आखिर मैंने ऐश्वर्या को प्राप्त कर ही लिया, चाहे इसके लिए मुझे इस अंतरात्मा को मारना पड़ा" और अंतरात्मा की तरफ इशारा करता है पर अंतरात्मा गायब है !
"अरे, ये अंतरआत्मा की लाश कहाँ गयी, आत्मा भी नज़र नहीं आ रही"
गुरु दूसरी तरफ मुहँ  कर के बैठ जाते हैं
"इससे पहले कुछ गड़बड़ हो, मैं ऐश्वर्या के साथ भाग जाता हूँ!"
और वो ऐश्वर्या का हाथ पकड़ भागने लगता है, तभी सामने से चार-पांच लोग उसे घेर लेते हैं और घूमने लगते हैं
मैं "तुम कौन हो?"
"हम समाज हैं!"
"मुझे क्यों रोका है?"
"तुम तो मिडिल क्लास हो??"
"तो??"
"तो तुम्हें ऐश्वर्या कहाँ से मिल गयी ?"
"क्यों क्या मुझे ऐश्वर्या का हक़ नहीं ?"
हँसते हुए "हक़?? वो क्या होता है? हक़ तो उन तोहफ़ों को बोलते हैं, जो जब हमारा मन करता है, हम तुम्हें दे देते हैं, उससे हमारी इमेज अच्छी  बनी रहती है।  वो छोड़ो, ये बतायो तुमने क्या गलत किया है जो ये तुम्हें मिल गयी?"
"नहीं मैंने कुछ गलत नहीं किया, इस पर मेरा भी हक़ है"
"चलो मान लेते हैं पर तुम्हें पहले इसे अर्जित करना होगा!!"
"जब मैंने इसे प्राप्त कर लिया तो earn  करने का क्या  मतलब, कैसे ?"
"मेहनत से, लगन से, ईमानदारी से"
"वो तो मैं बचपन से करता हूँ, उससे नहीं मिलती "
"वही तो हम कह रहे हैं , तो तुम्हें कैसे मिली??"
"ये खुद मेरे पास आयी!!"
इतने में दोस्त आता है और ऐश्वर्या का हाथ छुड़ा कर ले जाता है! मैं और समाज बातों में उलझे हैं
"अब तुम्हें मानना होगा कि ऐश्वर्या तुम्हारी नहीं है !"
"शायद तुम ठीक कहते हो,"
इतने में समाज में से अंतरात्मा निकल कर आती है और अपना मुखौटा उतार मैं का हाथ पकड़ लेती है !
अंतरात्मा"तुमसे मुझसे कोई नहीं छीन सकता, ऐश्वर्य भी नहीं, क्योंकि जब तक तुम हो तब तक मैं रहूंगी। हो सकता है, तुम मेरी न सुनो, अपनी आत्मा की न सुनो, गुरु की भी न सुनो पर तुम्हें इस समाज में रहना है और ये समाज ही मेरा पोषण करता है, इसलिए मैं सदा तुम्हारे साथ हूँ"
"तो फिर आकांक्षा और ऐश्वर्या से कह दो कि मुझे कभी नज़र न आयें !"
अंतरात्मा "आकांक्षा तो हमेशा तुम्हें नज़र आएगी, उसी से तुहें अपने चलने की दिशा मिलेगी और ऐश्वर्या सदा दूसरों के साथ नज़र आएगी, तुम्हें अपने ऊपर ही संयम रखना होगा"
to be completed......


मैं " मेरी तो आकांक्षा ही ऐश्वर्या है?"
अंतरात्मा " तो फिर कोई प्रॉब्लम नहीं, तुम अपनी आकांक्षा को ही ऐश्वर्या समझो, वैसे भी अच्छी गुड लुकिंग है और ऐश्वर्या के पीछे मत भागो!"
मैं " नहीं मेरा मतलब है, की मैं तो ऐश्वर्या को ही प्राप्त करना चाहता हूँ !"
समाज, आत्मा, अंतरात्मा - सब एक साथ " झूठ, सफ़ेद झूठ" सब गाने लगते हैं " कि मैं झूठ बुलेया - हांजी , की मैं कुफ़र टोलिया - हाँ जी, भई हाँ जी "
मैं -" नहीं मैं सच बोल रहा हूँ!!"
आत्मा (हँसते हुए) - " तुम तो जानते ही नहीं की सच क्या है और झूठ क्या , वो तो मैं जानता हूँ, जिस दिन तुम्हें सच का ज्ञान हो गया उस दिन तुममे और मुझमें कोई फरक नहीं रह जाएगा ! तुम्हें तो ऐश्वर्या चाहिए ही नहीं, वो तो दोस्त को देख कर तुम्हें लगता है कि तुम्हें ऐश्वर्या चाहिए"
मैं " मैं नहीं मानता, तुम ये कैसे कह सकते ?"
आत्मा " मेरे पास खुशीमीटर है! तुम्हारा दोस्त जब वर्ल्ड ट्रिप कर के आया तो उसकी ख़ुशी की जो रीडिंग थी, उससे ज़्यादा वैल्यू तो जब तुम बचपन में लूडो खेलते थे तो ही आ जाती थी"
में " बचपन की बात अलग हैं, बच्चों को तो छोटी -छोटी चीज़ों से बड़ी खुशियाँ मिल जाती हैं पर अब मैं बड़ा हो गया हूँ, अब मुझे भी ख़ुशी लिए वो सब चाहिए जो बड़ों को चाहिए होता है"
आत्मा " ये ठीक कहा, बड़ों की ख़ुशी मीटर की रीडिंग्स गेनेराल्ल्य बच्चों से कम ही आती है, पर उस दिन जब तुम अपने बेटे के साथ खेल रहे थे तो काफी अच्छी वैल्यू दिखा रहा था ख़ुशी मीटर !"

बे-इश्क़

ज़िन्दगी इतनी भारी तो कभी न थी
रोज़ ही सुबह तकिये का वज़न बढ़ जाता है!
जबसे देखी है सीरत तेरी,
अब कहाँ सूरत-ए-हुस्न पे प्यार आता है!!
गयी-गुज़री ही गुज़र गयी
लगता है देखकर अब तुझको ऐ ह्यात,
इससे ज़्यादा भी जूझ लेते हैं लोग
 न होगी हममें ही शायद कोई बात!
तेरे ज़ुल्मों ने पाला समंदर मेरी आँखों में
इनको कैसे बाँध लूँ बातों  के बांधों में!
मुझसे मेरा फ़र्ज़ मांगते हैं सभी
ज़िन्दगी एक क़र्ज़ की तरह चुकाए जाता हूँ!
ख़्वाहिशें कभी उठातीं है सर 
तो सजदे में तेरे उनको भी झुकाये जाता हूँ!
किस दिन इस सज़ा से निजाद होगी 
कब इस मुश्किल का हल हो जायेगा?
कज़ा से पहले भी ये मुमकिन है,
शायद उसी रोज़ 
जब  मुझे तुझसे इश्क़ हो जायेगा!

who's foible?

What kind of addiction is this?
Addicted to another human being!
like a parasite
one sided
still justified!
The addict is restless
till he is satiated
and chattel
is helpless
not because
it is bound
but because
it is justified!

The addict suffers
if not contented
and the chattel
if he is!
who's foible is it?
somebody else's
not theirs!!

Monday, September 26, 2016

मृत्यु या मुक्ति!!

मृत्यु या मुक्ति!!
मानवों में से आधे हम हैं,
अचरज है!
फिर भी न समझे इंसान कोई,
हमारा कोई चिन्ह, न निशान कोई,
न वर्ग, न रंग, न पहचान कोई,
हर श्रेणी में हैं हम,
आंको न खुद से कम,
लगानी पड़े अब
चाहे जो युक्ति
लेकर रहेंगे

मृत्यु या मुक्ति!!


Sunday, July 10, 2016

Let them tell!

Why is it so important to tell? Why do we need to speak out what happened and how we felt? Why do we have a strong urge to share our experience?
May be because we feel something extraordinary has happened and we must share it with others or sometimes it has such a feel-good factor that we want it to linger on or resonate. We want the pleasure that we got to keep dripping. In that attempt, we usurp on others time, mostly without realizing it or sometimes the urge is so overwhelming that we do it in spite of knowing that we may be stretching beyond our limits. We just can not deny the pleasure of being heard. But are we being really heard?? Mostly no! As most of the times most of the people just want to speak and be heard rather than vice-versa. The question arises, is it really so bad?
Isn't it that the person whom we are annoying or offending wants to do very much the same as we want, may be to a lesser extent!!
However, relations are bridged on the cartilage of ear pinna rather than catenary of lips! Life teaches us that we can earn more by lending our ears than by borrowing others time. We have to develop the skill to steal time from the clutches of daily routine to make life more meaningful for ourselves as well as others!

Saturday, July 9, 2016

Life in my stride!

Often, I get tired of life!
It seems to be full of struggle & strife!
Why should it be so difficult
to get what I should?
I should get all that I want
by doing easily what I could!

I just want to desert life
And live on my own,
Do whatever I may,
go wherever I want,
My life I should own!

Once I got few moments,
away from life's clasp,
My own moments,
moments within my grasp!
Like a dream it was
That I could fabricate,
I thought, lot of joy
now I would create

I could go anywhere, do anything
I was in total control
But,
It was so lonely!
I was speaking at my loudest
but there was no one to hear!
How unpaying these moments were!

It was maddening,
I just escaped from those moments
and saw life smiling at me!
I asked her,
"Be my companion
would you be?
Let's dream together!"
Life said,
"Take me wherever
you may,
I am here to make your moments,
make your day!
But
take me in your stride
and then by all your commands
I shall abide,
Don't run away from me
rather be my host,
I am the one who
loves you the most,
I am the one who has brought you
and shall be with you
till the end,
don't take me as a foe,

I am your closest friend!"

(Ways of life simplified)

Monday, July 4, 2016

The Hat Story

I have never believed in accessories when it comes to dressing! My view point is that they are superfluous; 'Excessories'. I feel that as and when we go out of our house, we should be firmly in control of ourselves and our belongings. Accessories contradict that philosophy. An end of a muffler flowing loosely, goggles shuffling between nose and head with no place for the cover that aspires to occupy the prime place that is 'hands', a hat that obstructs the vision. All create a nuisance!
Yes! they do have a purpose. They may protect you from harsh Sun or cold winds or serve as a multipurpose handy tool. They are often used for the style statement that they create but then I have believed that one's inherent persona should have enough style to create the impression that one wants to leave.
They are often expensive to buy and very expensive to loose! If one believes in 'being basic' accessories are a no-no, the expenditure doesn't make sense on the cost-benefit ratio.
However, they are one of most convenient gifts to give. Usually you don't have to bother about fitting, often they fit the budget of gifting, they are easy to carry and designs are broad based and likely to be accepted.
This philosophy has somehow percolated to whole of my family, though my wife is not averse to them and I brought muffler and cap for my wife as a souvenir from my France visit. Both, were liked a lot by her and also lost in their first outing leaving a scar in our memories!  Recently, on a trip, while my wife was checking out things at shops in a market, out of nothing better to do, I entered a shop. The shop had an interesting ensemble of accessories. The variety of umbrellas was unmatched. In fact, I had never seen a canopy or a tent umbrella before. Though the term may appear paradoxical but there were 'authentic chinese' umbrellas, one has seen in movies. It caught our fancy! In fact even after buying an umbrella, we kept looking for more. Then my eye caught an array of caps stacked in the center-corner. I persuaded my son to try them. I thought I may get an interesting picture. He tried one and then reluctantly another and then one more. This one a 'Fedora' suddenly seemed to be the best thing that could be on the lad's head. He looked like a complete man. Even he liked it very much, it was like love at first .....try! Then my wife suggested to try more caps and hats that were there but none seemed to be perfect. It is rare that we get a unanimous decision in a flash and we bought the hat. Then in an attempt to get more of similar happiness, we tried such wonderful hats for my daughter. There were 'Katrina' and Deepika hats. They were very pretty but none could give us the satisfaction that the 'Fedora' had given us.
From then on, my son wore it like second skin. In fact, rest of us, would not leave an opportunity to don the hat, if he took it off, which was seldom. It was worn by me, my daughter, my wife, my father-in-law and even my mother-in law. It was an overworked hat. Resting only when all of us slept.
On day 3, it was dusk and the light was getting dim. We were relaxing in an uphill park and then started trying our hands at low-light photography. Then the time for closing of the park was announced and we left. After coming downhill, I realized, there was something strange about my son. He looked different! Oh, his hat was missing! When I asked him about it, he immediately put hand on his head in a reflex. We realized that the hat had been lost. Disappointment and sadness welled up in his eyes.  It had happened earlier also. Whenever, we had enjoyed any accessory, we had lost it in that very trip. It was eerie, as if I had almost foreseen it. 'Moh' is said to be an obstacle in achieving Nirvana. 
I, as a father, immediately wanted to restore his happiness. I had comprehended that retrieving it back from the park was not possible. God is said to be great! Voila! We were standing right in the front of that shop. Without wasting a moment we entered the shop, picked up another similar hat, tried it and yes! It evoked the same stimulus!  I pushed the money to the vendor and were out in a jiffy. It was all so quick, that it seemed to heal with first intention i.e. without leaving a scar mark. My son adorned the hat for the rest of the trip.
I shared pictures of the trip with my sister-in-law. She said, 'all of you have clicked pics turn by turn wearing the same hat', 'uski topi iske sar, iski topi uske sar'. I told her, 'that's not true, it's not that we wore hat to click the pictures but because hat was always on somebody's head all the time, it features in all the pictures".
The Fedora Hat was the hero of our trip. Though it was a hat story but far from being a hate story, it was rather a passionate love story!! Hats off to the hat!
The signature!

Wednesday, June 29, 2016

Shimla: The erstwhile summer capital on seven hills.

A man without ambition is a dead man! But is it always good to have himalyan ambitions? History testifies that even those who have abode in Himalayas have other aspirations. Man of history has always fought with his neighbors as he yearns more or out of insecurity. He who has not fought, the history does not remember!!
Millions of years ago as the Indo-Australian plate broke into Australia and India, Indian plate started moving towards the Eurasia at the great speed of 15 cms per year to meet its beau. However, the meeting was not a smooth amalgamation of two souls merging into one, rather a rocky affair that lead to folding of earth to form the Himalayas and the Indian plate continuing to nudge the Eurasia forever. 
Highest of Himalayas, the Himadris quickly step down on southern side, to form Himachal and Shivaliks. Total span being less than 300 kilometers, but on the northern side it continues to soar high at a height of 4500 meters forming the tibet plateau with a span of 1,200,000 kms. 
Mankind has reached everywhere! And Man decided to house in the Himalayas. Nepal, not so small a country lives  wholly in the holy Himalayas. Nepal may represent the center of the human population that lives on the Himalayas. Even they decided to fight with their neighbors. They fought in the east, in the west, in the south and even towards the north.
People living in this region have been called Gurkhas by the Imperial people. 'Gorkha' that originally meant any Nepali, eventually evolved as a connotation for soldiers of Nepali origin. Named after guru Gorakhnath, it is said that Nepal expanded from the district of Gorkha, literally meaning 'savior of cows'.
The wars that nepali kingdoms had been involved in were called 'Gorkha wars'. Nepalese crossed Kumaon, Garhwal and reached hills of present day Himachal. East India Company sent their officer with his forces who succesfully evacuated the area of 'Gorkhali', but also appreciated their valour. After the Gorkha wars of 1814-1816, the Imeprial forces decided to keep a post in the area, which gradually developed into Shimla.
In colonial times it was called 'Simla'. The English might have developed it, but it was inhabited before their arrival. The area of Shimla sprawls over seven hills. Jakhoo hill is the highest of them. It was probably inhabited by significant population in pre-colonial times. The Jakhu temple is considered to be ancient.The folklore says that Lord Hanuman stopped here seeing Sage Yaksha (Jakha-Jakhu) to learn about Sanjivni Booti. It is also said that there was a blue cottage of a fakir near the temple - shyamal kutir after which shimla came to be known. Others say that the name is after Goddess Shyamala devi or Kali, whose idol was also there on the Jakhu hill, but was later shifted to another hill, Bantony hill, where it is present in the Kali Bari temple today. Another structure on the the top of Bantony hill is what was built as Bentick Castle in 1829 as residence of Governor General William Bentick. It later became premises for Dak Bungalow, Bank and Club. Finally it was purchased by a confectioner and changed into a hotel and then acquired by the Government. Today it houses the Grand hotel where we stayed. It's a great property, especially after its renovation in 2010 and is self sufficient for water due to rain harvesting. However it lacks services.

 Grand Hotel directly leads to the Mall Road. Mall Road of Shimla epitomizes the spirit of Shimla and the spirit of every Mall Road. If one has to understand the meaning of the term Mall Road, one has to spend time on Mall Road of Shimla and one would  spontaneously imbibe meaning of the term.
Just as one leaves the hotel is a dilapidated building good enough to be an old castle. In fact it is the old palace of Mahraja of Sirmur and is reportedly being restored.  But some people say it was the bantony castle built by Lord bantony. This is the third important place on Bantony hill. However nobody spares it a look. Even the hawker sitting in front of this 'Palace' had his 'Chhabba' of Litchis confiscated by the Police.
Erstwhile Palace on Bantony Hill
 There is a huge and old but well built BSNL building on the right. And as one crosses  the GPO on the left one reaches THE Mall Road!
The GPO is one of the oldest post offices in the country and is a heritage now. It started as Conny Cottage and may have housed Shimla bank and shops of European tailors initially.
Bantony hill is the central hill of Shimla. From the Grand Hotel it gradually leads to the Scandal point, which is the main 'chowk' of Mall Road. The lore is that Maharaja of Patiala eloped with the daughter of Vice-Roy from here and hence the name. As shimla was the capital of Punjab after independence, a statue of Lala Lajpat Rai, the Lion of Punjab was erected here. The Scandal point is also the highest point of Mall Road as it ascends from south-west and descends to south east.
A Line diagram of central hill of Shimla
 Towards the north-west from scandal point up goes the ridge or the highest elevation of the hill towards the Church. One can view the northern valley from here. A small 'pagdandi' kind of a trail descends northwards from the scandal point, on which is located 'The tibeti bazar'. It is the most steep and narrow path that I have seen any tibeti bazaar on.
Ascending on the ridge is a pleasant walk. On the right one gets the Ridge side of the Gaiety theater complex that houses some shows. 'Jadugar samrat Shankar's show was on, during our visit, we mused ourself on the 'water of india', that had kept us giggling in one of his past shows. Ridge was supposedly 'upper bazar' earlier but a fire cleared it and this area was used to build this complex.
The theater complex from the ridge side
 Further above one reaches the main square always full of hustle-bustle of visitors. Kids can be seen taking pony rides. The unique feature of Mall Road and Ridge area is that municipality has kept lot of seating arrangement and one can usually find a place to sit even in the peak tourist season. A tall pole with national flag on it now adorns the ridge!
The municipality has built a stage at a height with places to sit and view the shows. It is said that many popular open-air shows are held here during summer festival. On the back of the stage goes the trek towards the Jakhu hill. On the Right, lies the 'Christ Church', that serves as emblem of Shimla. If one moves further towards the left there is a slope on which is located 'Lakkad bazar'. This is another hill of Shimla known as Elysium hill.
View from the ridge
View of Shimla in 1884 from Jakhu Hill. The church stands out!
Scandal Point during Rain

'Tomorrow's Antique' That holds true for Lakkad Bazar even today!
One has to keep coming back to Scandal Point in Shimla! There are interesting shops around on The Mall. One shop called Rama & Sons sells a vast variety of umbrellas. The proprietor claims he has ranges from 200 rs to 7000 rs. They have tent shaped umbrellas and chinese umbrellas in their range.If one starts walking downhill on the mall road from the scandal point towards the lift, one is taking 'The walk on the Mall'. As no vehicles are allowed here, roads are all to the pedestrians without a need to reclaim them. One crosses fire station and then there is the gaiety theater complex on the left that houses the police station. 
It is said that, on the lines of Royal Albert Hall, London, five gaiety theaters were built around the world and this is one of them. This complex has an old theater, that gives the original Edwardian era feel. It is said that lot of plays, where even vice-roys enacted were played here. Post independence theater artistes including prithvi Raj kapoor have performed here. Three hindi movies, Kudrat, badalte rishte and Gadar have been shot here.Besides the theaters it has hall that houses exhibitions! Immediately after the theater is a flight of stairs that descends from Mall Road to the middle bazar, this houses some of the famous traditional food shops.One has to walk down further to reach combermere hotel, Lift and the Wax Museum. Though shops close around nine, food shops remain open till 11 pm.
Descending down on the other limb of Mall Road from Scandal point, one comes across Indian Coffee House and Himachal Emporium, that ends at CTO.
After the revolt of 1857, Queen Victoria decided that company was not able to handle the affairs, and took control of India directly under British Government. This is when instead of Governor-General, India was to be ruled by a Vice Roy. Highest seat of government needs to be at the highest. This is when a Vice-regal house was planned at the top of Observatory hill as Shimla was the summer capital of the country. Earlier Murree in rawalpindi was the summer capital but Shimla was more convenient though still far from Calcutta, the main capital. Vice regal lodge was built during the time of Lord Dufferin. While the exterior was built with the locally available stone, wood for interior was teak from Burma and Ceiling was designed with Walnut wood from Kashmir with traditional kashmiri craft. All the furniture was brought from England. This building has marvellous fire-fighting system installed and a fire station has been built within the campus. This building was designed with provision of electricity though there was no electricity in India at that time. All the lawns have underground rain harvesting tanks.
The kashmiri ceiling design is known as 'khatambandh'. 
Khatambandh-seen on the ceiling of Vice-regal lodge.
"Brought to Kashmir in 1541 by Mirza Hyder Douglat, Khatamband is an art of making ceiling, by fitting small pieces of wood (preferably walnut or deodar wood) into each other in geometrical patterns. All this is done entirely with hands without use of nails. The wood is processed, cut into buttons and panels and fixed in the ceiling in various floral and geometrical designs.Indeed a painstaking work, which once used to take months to finish a 10 feet by 10 feet ceiling. The uniqueness of this art is that when the ceiling is complete, it acquires a unique geometrical pattern. With fewer or no nails used at all, the Khatamband ceiling can easily be dissembled and re-assembled at another place."
Vice-Regal lodge at Observatory Hill

This is the place where Shimla conference took place in 1945, where all the major leaders who were stakeholders for Independent India took part like Mahatma Gandhi, Nehru, Jinnah, Master tara Singh, Rajkumari Amrit Kaur, Maulana Azad etc.
Post-independence this building was donated by Sarvpalli Radha Krishnan for Insitute of Advanced Studies, where scholars do post-doctoral fellowship. The entry process to this insitute of highest academic level in India is saidto be rigorous. Scholar who have studied here are Bhishm Sahni, Salman Rushdie, Aung San Su kyi and similar. Now there is a big library with rare books.
We went to Shimla from kalka by 'Toy-Train', one of the oldest railway lines. One enjoys the ride as the train stops at various station over 5 hr journey. I had enjoyed toy train as a child near Darjeeling and still remember, how train took turn at the Batasia Loop.
One knows one has reached Shimla, when one reaches the station of Summer Hill, one of the farthest shimla hill on one end along with the Prospect Hill that houses the Kamna Devi temple. Summer hill had the house in which Raj Kumari Amrit Kaur used to live, where Mahatma Gandhi is said to have stayed. As the first health minister of India and the Governor-general of World Health Assembly, she managed to set up AIIMS for highest medical teaching and care in India, with the help of foreign aid. Her dedication can be assessed from the fact that her erstwhile residence serves as 'guest house' for AIIMS now.
Between the Observatory Hill and Bantony Hill is the Inverarm Hill that houses the state museum and the bird park.
Tunnels have been made to reach from one side of a hill to another without climbing them. I found the 'Khacchar tunnel' or the lower bazar tunnel to be very interesting as it connects the two sides of the joined hills Bantony and Elysium. Only pedestrians are allowed in this 150 meter tunnel that opens in Lower Bazar on one end and Tibet bazar on another. probably it was built for mules to carry loads. However, the most famous is the Victory Tunnel.
Besides the tunnel another connectivity channel is the "lift" that takes you up to The mall in two stages from the main road downhill where you can park your car. I wish they had made it transparent and big. I think then the charges per trip will go up from rs 10.
One wonders what's so special about Shimla? Is it the Toy train or the Imperial connection or the scenery or the weather or a combination of all of them. One can go back to the beginning! As The Indian plate, collided with the Eurasian plate and started prying land up, mountains were formed. They were formed in stages. Himalayas are said to be highest as they are young fold mountains in contrast to Aravallis which are old fold mountains and may have been highest at a point of time in history. However, that analogy can not be extrapolated. Amongst the Himalayas, the tallest himadris are the oldest, followed by himachal and the youngest Shiwaliks! While himadris are too tall and the terrain too difficult for a routine tourist to enjoy a family trip, shiwaliks are too low to provide a change. That is why most of the hill stations are in the Himachal range of himalayas. Though there are different versions and a geologist may be able to state the perfect truth, the general understanding is as follows. The himadris form the Zanskar range just to the east of karakoram, while Pir panjal forms the westernmost part of Himachals. The valley between Zanskar and Pir Panjal is the most beautiful valley on earth, the heaven on earth, firdaus-e-zameen, Kashmir! Zanskar separates Ladakh from kashmir. The himachal range that is 3700-4500 m high from west to east is divided into Pir Panjal, Dhauladhar, Mussoorie, Nagtibba and Mahabharat range. Simplistically speaking Pir Panjal is in J&K, Dhauladhar in Himachal Pradesh, Mussoorie in Garwhal, Nagtibba in kumaon and Mahabharat in Nepal. Shimla is in Dhauladhar! It is easily one of the most developed hill stations that is quickly approachable from Delhi. Now a four lane highway is being built upto Shimla. So many tourists have been visiting this place, that this was being considered as a crowded place with no water. Also, it led to overspill of tourists to nearby places. As one ascends from Kalka, small offshoots to places that are considered scenic views for people who want to avoid crowd, leave the highway. There are lots of hill stations right upto Manali, that can be approached via this route. From Shimla we also went to Kufri, that is known as a ski resort during winters and Naldera that has scenic meadows. Both places can be diverted to from the historic place called Dhalli. However, my experience was a complete one in Shimla!

आघात या घात का तात्पर्य

 घात - 'घात' शब्द अनेकों रूप में प्रयोग किया जाता है! इसका एक सामान्य अर्थ होता है 'छुप कर वार करना'। घात शब्द का गणित में प...